ज़ुबैर मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- एक मामले में बेल मिलते ही, दूसरे में हो जाती है गिरफ्तारी

ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धर्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी 6 एफआईआर को रद्द करने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।

दिल्ली : ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धर्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी 6 एफआईआर को रद्द करने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज 5 FIR में बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के आगे कार्रवाई पर रोक भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुवनाई 20 जुलाई को होगी।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एड एस बोपन्ना की पीठ ने टिप्पणी किया कि सभी मामलों में FIR के तथ्य मिलते जुलते हैं, एक मामले में बेल मिलती है तो दूसरे में गिरफ्तारी हो जाती है, यह एक तरह के दुष्चक्र जैसा लग रहा है। ज़ुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में एक साथ आंतरिक ज़मानत देने की मांग की थी। वकील ग्रोवर ने कहा कि ज़ुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के पांच जिलों सीतापुर, लखीमपुर, हाथरस, मुजफ्फरनगर और गाज़ियाबाद बाद में कुल 6 एफआईआर दर्ज हैं। दिल्ली और सीतापुर मामले में ज़ुबैर को ज़मानत मिल चुकी है। ज़ुबैर की सीतापुर, लखीमपुर और हाथरस में दर्ज मामलों में गिरफ्तारी हो चुकी है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश के बाद मुजफ्फरनगर और गाज़ियाबाद में दर्ज मामले में पुलिस ज़ुबैर को गिरफ्तार नहीं करेगी।

इससे पहले मोहम्मद ज़ुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट में आज सुबह मुख्य न्यायधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी। मुख्य न्यायधीश ने उनको जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामला रखने को कहा। जिसके बाद दोपहर ढाई बजे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले की सुनवाई किया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ज़ुबैर को अंतरिम ज़मानत का आदेश देने से इनकार किया लेकिन यूपी पुलिस को निर्देश दिया कि यूपी ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज 5 FIR में बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के आगे कार्रवाई नहीं करेगी।

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