रायबरेली- उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर के बस्तेपुर निवासी रचना मौर्य बुधवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय फरियाद लेकर पहुंची थी। उन्होंने न्याय नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया और सीओ से भी बहस की। इस दौरान महिला थाना प्रभारी किरन भास्कर मौके पर पहुंचीं और रचना को जमीन पर गिरा देख, उसे लात मारकर उठाने का प्रयास किया।
सीओ सदर अमित सिंह ने बताया कि रचना मानसिक दबाव (डिप्रेशन) का शिकार है और उससे पूरी जानकारी ली जाएगी। हालांकि, देर शाम महिला थानाध्यक्ष की तहरीर पर रचना मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। एक तरफ इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में चर्चा हो रही है, और अब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
दूसरी ओर पीड़ित और परेशान महिला रचना मौर्य अपनी फरियाद लेकर पुलिस अधीक्षक रायबरेली के ऑफिस जाती है। वहां उसकी बात नहीं सुनी जाती। पहले भी कई जगहों पर शिकायत के बाद उसकी नहीं सुनी गई तो महिला ने आपा खो दिया। जोर जोर से बोलने लगी।
आला हाकिमों को तेज आवाज वो भी जनता की, बिल्कुल पसंद नहीं। तमाम इल्ज़ाम लगाकर रचना मौर्य को इस भीषण ठंड में जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया। रचना मौर्य को मदद की बजाय जेल मिली।
हालांकि नौकरशाही मदमस्त है। लखनऊ तक इनकी शिकायतें भी अगर पहुंचती है तो आकाओं के माध्यम से सरकार तक बातें ट्विस्ट करके भेज दी जाती है। इसलिए न मैनपुरी मामले पर कोई कार्रवाई हुई न रायबरेली में किसी सीनियर अधिकारी ने पूछा कि रचना मौर्य नाम की इस गरीब पीड़ित महिला को जेल भेजना इतना जरूरी क्यों था।
रायबरेली में हत्या के एक आरोपी जिसके खिलाफ सबूत था उसको बचाने के लिए पुलिस ने खुद जान की बाजी लगा दी थी। दूसरे जिले में केस ट्रांसफर कर दिए थे। हत्या करने वाला जेल से बच गया था।