
हल्द्वानीः वानिकी प्रशिक्षण अकादमी में मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने को लेकर कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने पश्चिमी बंगाल के रेंजर्स और उत्तराखंड के फारेस्ट गार्ड को जंगल भ्रमण और वन्यजीवों के मूवमेंट चिन्हित करने को लेकर टिप्स दिए। अकादमी की निदेशक डॉ. तेजस्विनी पाटिल ने बताया कि एफटीआई में पश्चिम बंगाल के 42 रेंजर और उत्तराखंड के 100 फारेस्ट गार्ड को ट्रेनिंग दी जा रही है।
वन्यजीव संघर्ष रोकने को लेकर कार्यशाला में विस्तृत जानकारी दी गई। ट्रेनिंग ले रहे रेंजर व फारेस्ट गार्ड को पीपल पड़ाव, फतेहपुर रेंज व नंधौर के जंगलों में ले जाकर वन्यजीवों के मूवमेंट को समझने की भी जानकरी दी गई। कार्यशाला में विशेषज्ञ शूटर आशीष दास गुप्ता, राजीव सोलोमन और सैयद अली बिन हैदी ने भी अनुभव साझा किये।
मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से एक इंस्टीट्यूट खोलने की संभावना है। इसके लिए वन विभाग के पास पर्याप्त जगह है। ट्रेनिंग के लिए जरूरी जंगल, स्टाफ, विशेषज्ञ भी उपलब्ध है। इस दौरान ट्रेनिंग का हिस्सा बने फारेस्ट गार्ड और रेंजर्स के चेहरों में भी खुशी देखने को मिली।