World Aids Day: फ्लू जैसा होता है लक्षण, एचआईवी से एड्स होने में लगता है समय, ये करें उपाय

एड्स का नाम सुनते ही कुछ लोग संकोच में पड़ जाते हैं तो कुछ लोग इस पर बात करना भी उचित नहीं समझते हैं। आज भी कुछ लोगे एड्स रोगी को हीन भावना से देखते हैं, जिबकी एड्स भी अन्य बिमारियों की तरह ही एक बिमारी है

एड्स का नाम सुनते ही कुछ लोग संकोच में पड़ जाते हैं तो कुछ लोग इस पर बात करना भी उचित नहीं समझते हैं। आज भी कुछ लोगे एड्स रोगी को हीन भावना से देखते हैं, जिबकी एड्स भी अन्य बिमारियों की तरह ही एक बिमारी है, लेकिन इसका अभी तक कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। एड्स से पीड़ित व्यक्ति को समय पर उपचार मिलना बहुत जरूरी है, समय पर उपचार न मिलने की दशा में एड्स से पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर लगभग 3 साल तक जीवित रहते हैं।

एड्स और एचआईवी दोनों को समझने की जरूरत
एड्स और एचआईवी को लोग एक बीमारी के रूप में देखते हैं जिबकी ये दोनों अलग हैं। जरूरी नहीं है कि जिसको एचआईवी हो उसको एड्स ही हो। एचआईवी और एड्स को आप इस प्रकार समझ सकते हैं कि एचआईवी एक वायरस का छोटा संक्रामक एजेंट है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से चला जता है। जिस व्यक्ति में ये एचआईवी वायरस चला जाता है उस व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली में क्षति होने लगती है जिसके कारण एड्स रोग हो जाता है। एड्स को इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि एड्स एक सिंड्रोम या जुड़े लक्षणों का एक समूह है जो एचआईवी द्वारा आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को होने वाली क्षति के कारण होता है।

शुरूआत में होती है छोटी फ्लू जैसी बीमारी
एचआईवी संक्रमण के लक्षणों में कोई खास तरह के बदलाव या दिक्कत नही होती जिस वजह से लोगों को इसके होने का अनुमान भी नहीं हो पाता। एचआईवी वायरस जब आपके शऱीर में प्रवेश करता है तो उसके 2 से 6 सप्ताह बाद एक छोटी फ्लू जैसी बीमारी हो जाती है और यह फ्लू एक से दो सप्ताह तक रहता है। इस फ्लू के खत्म होने के बाद एचआईवी वायरस कोई अन्य लक्षण पैदा नहीं करता केवल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है और धीरे धीरे लगभग 8 से 10 वर्षों में एड्स में बदल जाता है।

रोकथाम के प्रभावी तरीके
एचआईवी संक्रमण को रोकने के आज के समय में कई तरीकें हैं। इन तरीकों के इस्तेमाल से एचआईवी के खतरों को कम किया जा सकता है। इन तरीकों में सेक्स से दूर रहना, कंडोम का इस्तेमाल करना, सुई साझा न करना और गर्भावस्था के दौरान एचआईवी की जांच करना शामिल है। एचआईवी वायरस के संपर्क में आने पर संक्रमित होने से बचाने के लिए डॉक्टर से मिलकर उचित सलह लेकर उपचार करना चाहिए।

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