महिला उत्पीड़न मामलों का निस्तारण करने में यूपी देशभर में अव्वल, गोवा और पुडुचेरी को पछाड़ा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं एवं बच्चियों से संबंधित अपराधों को कम करने, इन अपराधों में लिप्त आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए संकल्पित हैं. आंकड़ों के मुताबिक पिछले छह वर्षों में इन अपराधों में काफी कमी आई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं महिला अपराधों समेत प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर लगातार मॉनिटरिंग करते रहे हैं.

लखनऊ, 9 मार्च: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं एवं बच्चियों से संबंधित अपराधों को कम करने, इन अपराधों में लिप्त आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए संकल्पित हैं. आंकड़ों के मुताबिक पिछले छह वर्षों में इन अपराधों में काफी कमी आई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं महिला अपराधों समेत प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर लगातार मॉनिटरिंग करते रहे हैं, तो वहीं मुख्य सचिव द्वारा हर माह समीक्षा बैठक और डीजीपी द्वारा पुलिस अधिकारियों को समय-समय पर इन अपराधों को लेकर जारी दिशा-निर्देशों से ऐसे अपराधों पर नियंत्रण लाने में काफी हद तक सफलता मिली है.

हाल ही में एनसीआरबी ने आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों के निस्तारण में प्रदेश को पूरे देश में पहला स्थान दिया है. वहीं, इन मामलों में दर्ज एफआईआर में दो माह के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी करने में उत्तर प्रदेश देश में पांचवें स्थान पर है.

गोवा और पुडुचेरी को छोड़ा पीछे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में महिला एवं बच्चियों संबंधी अपराध आईपीसी की धारा 376, महिला उत्पीड़न और पॉक्सो एक्ट को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें पुलिस अधिकारियों को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इन अपराधों पर लगाम लगाने के साथ दर्ज मामलों को कम से कम समय में आरोपियों को सजा दिलाने की बात कही.

इस विषय पर पुलिस अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि 27 फरवरी 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज 77,044 एफआईआर में से 75,331 मामलों को निस्तारित कर 97.80 प्रतिशत के साथ प्रदेश ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. एनसीआरबी ने भी इसकी पुष्टि की है. उन्होंने सीएम योगी को बताया कि इन मामलों में दूसरे स्थान पर गोवा है, जिसका रेश्यो 97.30 प्रतिशत है, जबकि तीसरे स्थान पर पुडुचेरी है, जिसका रेश्यो भी 97.30 है. वहीं इन मामलों में सबसे खराब प्रदर्शन बिहार का रहा है, जिसका रेश्यो 18.7 प्रतिशत है. इसके बाद मणिपुर का 23.7 प्रतिशत और असम का 35.4 प्रतिशत है.

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