इजरायली PM ने अडानी ग्रुप को सौंपा हाइफा बंदरगाह, गौतम अडानी बोले- कल का हाइफा आज से बहुत अलग दिखेगा…

गौतम अडानी ने कहा कि इजराइल ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है. एक करोड़ से कम आबादी वाला देश क्या हासिल कर सकता है, इसके नियम आपने फिर से लिखे हैं. बहुत कम प्राकृतिक संसाधनों वाला देश क्या हासिल कर सकता है, यह साबित करके आपने नियमों को फिर से लिखा है. और आपने यह दिखा कर नियमों को फिर से लिखा है कि आत्म-विश्वास वाला देश क्या हासिल कर सकता है.

मंगलवार को अडानी समूह ने इजरायल के हाइफा बंदरगाह का अब्राहम समझौते के तहत आधिकारिक तौर पर अधिग्रहण कर लिया. इस अवसर पर अडानी समुह के चेयरपर्सन गौतम अडानी ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु से मुलाकात की. इजराइल में इस उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम में गौतम अडानी ने अपना संबोधन देते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक दिन पर इजरायल में होना एक प्रेरक अनुभव है.

उन्होंने कहा, “मैंने विदेश की कई जगहों पर अपनी बातें रखी हैं, लेकिन मुझे मानना ​​पड़ेगा कि मैंने इतना प्रेरित कभी महसूस नहीं किया जितना आज यहां अनुभव कर रहा हूं.” “किसी भी विदेशी भूमि की मैंने कहीं इतनी प्रशंसा नहीं की जितनी यहां की धरती प्रशंसनीय हैं. और सबसे बढ़कर, कोई भी विदेशी भूमि हो लेकिन मैंने कभी भी विदेशी होने का अनुभव नहीं किया है.”

मेरा दृढ़ विश्वास है कि इजरायल की भावना ये सभी अंतर बनाती है. और कोई भी इस भावना को आपके पहले प्रधान मंत्री- डेविड बेन गुरियन से बेहतर व्यक्त नहीं कर सकता था, जब उन्होंने कहा था “इज़राइल में-एक यथार्थवादी होने के लिए-आपको चमत्कारों में विश्वास करना चाहिए.” इजराइल और यहां के लोग – वास्तव में – कई चमत्कारों की अभिव्यक्ति हैं.

इतिहास के संदर्भ में, हमारी मित्रता 1947 और 1948 में हमारे स्वतंत्र होने से बहुत पहले तक बेहद विस्तृत हुई थी. हमारी दोस्ती को एक साथ जोड़ने वाला सबसे यादगार दिन 1918 का 23 सितंबर था. इस दिन मैसूर के भारतीय शहरों से हमारे सैनिक, हैदराबाद और जोधपुर ने यहां – इसी शहर में – हाइफा की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी.

और आज इससे पहले, मुझे उस जगह जाने का अवसर मिला जहां हमारे सैनिक चिर निद्रा में सोए हुए हैं. मेरे लिए इस तथ्य पर चिंतन करना एक भावुक क्षण था कि अब हम जिस बंदरगाह को साझा करते हैं – वह उसी शहर का हिस्सा है – जहां हमारे दोनों देशों के सैनिक आजादी जैसे परम साझा हितों के लिए कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे.

गौतम अडानी ने कहा कि इजराइल ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है. एक करोड़ से कम आबादी वाला देश क्या हासिल कर सकता है, इसके नियम आपने फिर से लिखे हैं. बहुत कम प्राकृतिक संसाधनों वाला देश क्या हासिल कर सकता है, यह साबित करके आपने नियमों को फिर से लिखा है. और आपने यह दिखा कर नियमों को फिर से लिखा है कि आत्म-विश्वास वाला देश क्या हासिल कर सकता है.

इज़राइल की सोच इसे दुनिया का सबसे लचीला राष्ट्र बनाती है. इस बात का सबूत है कि इस देश ने कैसे विकास किया है. इज़राइल विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विशाल शक्ति के साथ सभी बाधाओं को पार करने की अपनी क्षमता का परिणाम है. अनेक क्षेत्रों में नवप्रवर्तन की आपकी गति मुझे चकित करती है. नवाचार के लिए आपका अभियान मुझे आश्चर्यचकित करता है कि हम आपसे कैसे सीख सकते हैं. दुनिया के सस्टेनेबिलिटी की बात करने से बहुत पहले आपने सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया था.

आपने पानी, ऊर्जा और मिट्टी के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया. इससे पहले कि ये मुख्यधारा के चलन बन गए. यह कल्पना करना ही चौंका देने वाला है कि 10 मिलियन से कम आबादी वाले देश की जीडीपी 500 बिलियन डॉलर कैसे हो सकती है. गौतम अडानी ने कहा कि आज का अवसर पिछले 6 वर्षों में की गई कड़ी मेहनत का परिणाम है. इन वर्षों में हमने कई महत्वपूर्ण साझेदारियां की हैं जिनमें एलबिट सिस्टम्स, इज़राइल वेपन सिस्टम्स और इज़राइल इनोवेशन अथॉरिटी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “हमने कई दर्जन प्रौद्योगिकी संबंधों की शुरुआत की है जिसमें हमने कंपनियों के पूरे अडानी पोर्टफोलियो को हमारे लिए एक साथ सीखने के लिए एक विशाल सैंडबॉक्स बनने की पेशकश की है. हम तेल अवीव में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब स्थापित करने की प्रक्रिया में भी हैं, जो भारत और अमेरिका में हमारी नई एआई लैब के साथ मिलकर काम करेगी.

हम हाइफा विश्वविद्यालय जैसे स्थानीय कॉलेजों के साथ सहयोगी संबंध स्थापित करने की भी उम्मीद करते हैं ताकि इस शहर में उपलब्ध गहन प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके, और अब हमारे पास सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है जो हाइफा पोर्ट हमारे मूल्यवान भागीदार गडोट के साथ.

उन्होंने बेंजामिन नेतन्याहू को संबोधित करते हुए कहा, “यह निजीकरण की पहल उस समय की गई थी जब आप प्रधान मंत्री थे, और यह उचित ही है कि आज आप ही हैं जो इस यादगार समारोह में हमें बंदरगाह सौंप रहे हैं. हाइफ़ा बंदरगाह की बात करें तो मुझे पूरा विश्वास है कि इज़राइल सरकार, स्थानीय अधिकारियों और हमारे साथी गैडोट के समर्थन से हम पूरे बंदरगाह परिदृश्य को बदल देंगे.”

हमें इस बात का एहसास है कि दूसरों से प्रतिस्पर्धा होगी, लेकिन हमारा भरोसा इज़राइल के लोगों में हमारे विश्वास से आता है और इसलिए इज़राइल की विकास गाथा में हमारा विश्वास है. हमारा इरादा निवेश का सही सेट बनाना है जो न केवल अडानी गैडोट साझेदारी को गौरवान्वित करेगा बल्कि पूरे इज़राइल को गौरवान्वित करेगा. हाइफा बंदरगाह का अधिग्रहण भी अचल संपत्ति की एक महत्वपूर्ण राशि के साथ आता है. और मैं आपसे वादा करता हूं कि आने वाले वर्षों में हम अपने आस-पास दिखने वाले क्षितिज को बदल देंगे.

कल का हाइफा – आज जो हाइफा आप देख रहे हैं उससे बहुत अलग दिखेगा. आपके समर्थन से – हम इस प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे और इस शहर को बदलने के लिए अपनी भूमिका निभाएंगे. गौतम अडानी ने इस दौरान इजराइल के मशहूर कवि येहुदा अमीचाई की कविता के दो पंक्तियों को भी दोहराया, जिसका भावार्थ था- “सबकुछ के लिए वक्त की चाह रखने वाले किसी व्यक्ति के पास ताउम्र वक्त नहीं होता. हर उद्देश्य के लिए एक मौसम की चाह रखने वाले एक शख्स के पास पर्याप्त मौसम नहीं होता.

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