सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश के शासकों को हर दिन यह आत्म निरीक्षण करना चाहिए। जस्टिस रमना ने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। उन्होने कहा लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। इसलिए सरकार के सभी फैसले जनता के हित में ही होने चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी शासकों को अपना नियमित कार्य शुरू करने से पहले आत्ममंथन करना चाहिए कि उनके भीतर बुराई क्या है ?
जस्टिस रमना ने कहा कि देश के शासकों आत्म चिंतन करना चहिए कि क्या उनके द्वारा लिए गए फैसले सही हैं और क्या उनके अंदर कोई बुराई है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नागरिकों को बेहतर प्रशासन देने की जरूरत है। जो कि उनकी आवश्यकताओं के अनुरुप होनी चाहिए।मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने यह बातें श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग के 40वें कॉन्वोकेशन में कही।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने महाभारत और रामायण का हवाला देते हुए उन 14 बुराइयों के बारे में बताया, जिनसे एक शासक को दूर रहना चाहिए। उन्होने कहा कि उनकी यह इच्छा थी कि देश में सभी संस्थाएं स्वतंत्र व ईमानदार हो और नागरिकों की बेहतर सेवा देने के उद्देश्य के साथ काम करे, जैसा कि सत्य साई बाबा हमेशा कहा करते थे।
जस्टिस एनवी रमना ने कहा दुर्भाग्यवश, आधुनकि शिक्षा प्रणाली का ध्यान सिर्फ उपयोगितावादी कार्यों पर रहता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा ऐसी शिक्षा प्रणाली नैतिक या आध्यात्मिक कार्यों से सुज्जित नहीं है, जो छात्रों के चरित्र का निर्माण करती है और उन्हें सामाजिक चेतना व भावना विकसित करने की अनुमति देती है।