
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021 के अनुसार, लगभग 78 प्रतिशत स्कूली छात्रों के लिए महामारी के दौरान घर पर सीखना या पढ़ाई कर पाना एक “बोझ” जैसा रहा. इस संख्या में से भी 24 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जिनके पास घर पर पढ़ाई करने के लिए डिजिटल उपकरण नहीं था.
सर्वेक्षण में पाया गया कि जैसे-जैसे वे उच्च कक्षा में जाते हैं, छात्रों के सीखने के स्तर (उपलब्धियों) में गिरावट आती है. सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि भारत में 48 प्रतिशत छात्र पैदल ही स्कूल जाते हैं.
पिछले साल 12 नवंबर को कक्षा 3, 5, 8 और 10 के लिए पूरे देश में शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) का आयोजन कराया था. इस सर्वेक्षण में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 720 जिलों के 1.18 लाख स्कूलों के लगभग 34 लाख छात्रों ने भाग लिया.
बुधवार को जारी NAS की रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग, 78 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्हें महामारी के दौरान बहुत सारे असाइनमेंट, बिना किसी डिजिटल उपकरण के ही पूरे करने पड़े.
45 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई उनके लिए बेहतर विकल्प रहा. 38 प्रतिशत बच्चों ने ऑफलाइन क्लासेज को बेहतर बताया.
चौबीस प्रतिशत छात्रों ने दावा किया कि महामारी के दौरान उनके पास घर में कोई डिजिटल उपकरण नहीं था, जिस वजह से ऑनलाइन क्लास कर पाना बेहद कठिन काम था.
50 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि घर और स्कूल में सीखने में कोई अंतर नहीं है, जबकि 80 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि वे अपने साथियों की मदद से स्कूल में बेहतर सीखते हैं. 70 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि महामारी के दौरान घर पर नई चीजें सीखने के लिए उनके पास बहुत समय है.
अगर समाज के विभिन्न वर्गों के हिसाब से देखें तो सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के छात्रों का औसत प्रदर्शन राज्यों के लगभग सभी वर्गों में कम रहा. बता दें कि कक्षा 10 अंग्रेजी में, सामान्य श्रेणी के छात्रों का राष्ट्रीय औसत स्कोर 308 था, जबकि SC छात्रों के लिए यह 283, ST के लिए 280 और OBC छात्रों के लिए 289 था.