भले ही प्रदेश सरकार स्वस्थ्य को लेकर बड़े-बड़े दावे क्यों ना करती हो लेकिन धरातल पर सभी सरकारी दावे पानी भरते नजर आ रहे हैं. मामला सूबे के देवरिया जनपद स्थित बाबा देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज का है. एक तरफ जहां इस अस्पताल में अव्यस्थाओं की भरमार है वहीं दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के अस्पतालों के औचक निरिक्षण को लेकर भी स्टाफ पर कोई असर नहीं हैं.
वर्तमान में प्रदेश भर में डेंगू का प्रकोप फैला है और महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज बेड की भारी किल्लत से जूझ रहा है. मेडिकल कॉलेज के चिल्ड्रन वार्ड के सभी बेड फुल हैं. मौजूदा स्थिति तो ये है कि एक बेड पर दो-दो मरीजों का एक साथ उपचार किया जा रहा है. अस्पताल की सबसे बड़ी समस्या ये है कि मरीजों के तीमारदारों को कोई दिशानिर्देशित करने की व्यवस्था नहीं है.
इसका परिणाम ये है कि गंभीर बिमारी से परेशान मरीज इलाज के लिए अस्पताल के वार्डों के चक्कर लगाते रह जाते हैं. जब तक उन्हें समुचित उपचार मिल पाता है तब तक मरीज की हालत और भी बदतर होती जाती है. गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आपातकालीन वार्ड तो बना हुआ है लेकिन औपचारिकताओं के चक्कर में लोग अस्पताल के वार्ड भटक रहे हैं.
वर्तमान में अगर डेंगू को दरकिनार कर दें फिर भी सामान्य बीमारियों का इलाज कराने पहुचें मरीजों को स्टाफ की लापरवाही और बुनियादी सुविधाओं जैसे स्ट्रैचर, व्हीलचेयर की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा चिकित्सकों का समय से अस्पताल ना पहुंचना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. बात करें बच्चों के इलाज के लिए बने PICU और जनरल वार्ड की तो इन वार्डों में कुल 35 बेड की व्यवस्था है.
मौसम बदलते ही बच्चों में आई बीमारियों की बाढ़ से सभी बेड फूल हो चुके हैं जिसके चलते एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है. तीमारदारों ने सरकार से बेड बढ़ाने की गुहार लगाई है. एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज होने से उनमें इन्फेक्शन फैलने की आशंका है. तीमारदारों ने सरकार से बेड बढ़ाने की अपील की है.
स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है जो सीधे तौर पर आम जनता के जीवन से जुड़ा हुआ है, ऐसे में सरकारी दावों का इस कदर विफल होना खुद सरकार के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर सकती है. बहरहाल, देवरिया जनपद की आम जनता की सरकार से उम्मीद है कि व्यवथाओं को दुरुस्त किया जाए और बेड एवं स्ट्रैचर, व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए.