Digital Story: बीजेपी और सपा की सियासी लड़ाई में दांव पर मिल्कीपुर की प्रतिष्ठा, क्या बदलेगा राजनीतिक समीकरण?

मिल्कीपुर उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। हालांकि जनता का समर्थन कौन हासिल करेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इस चुनावी लड़ाई में कोई भी पार्टी अपनी पूरी ताकत छोड़ने को तैयार नहीं है। मिल्कीपुर उपचुनाव के...

Digital Story: उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ही जीत के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। जहां बीजेपी ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू किया है, वहीं समाजवादी पार्टी भी चुनावी मैदान में ताकत झोंक रही है। विपक्षी पीडीए की काट के लिए बीजेपी ने एक नई रणनीति बनाई है। बीजेपी इस बार अपनी पूरी ताकत दलित, पिछड़ा और अगड़ा वर्ग पर फोकस करेगी, ताकि इन समुदायों से अधिक से अधिक समर्थन जुटाया जा सके।

280 से ज्यादा महिलाओं को बनाया गया मंडल अध्यक्ष

ऐसे में बीजेपी का फोकस साफ है – दलित, पिछड़ा और अगड़ा वर्ग को साथ लेकर चलना। पार्टी ने 1500 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की है, जिनमें से 623 ओबीसी, 408 दलित समाज से और 480 अगड़े समाज से हैं। इसके अलावा सिख समाज से भी मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं। इतना ही नहीं बीजेपी ने महिलाओं को भी अहम जिम्मेदारी दी है। 280 से ज्यादा महिलाओं को मंडल अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जो पार्टी के इस चुनावी अभियान को मजबूती से आगे बढ़ाएंगी।

चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर

वहीं, समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में अपनी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। पार्टी की रणनीति जनता के बीच खुद को फिर से मजबूत करने की है, और मिल्कीपुर में होने वाली हर गतिविधि पर उसकी नजरें हैं। समाजवादी पार्टी ने भी बीजेपी की चुनौती का सामना करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी की कोशिश है कि वह अपनी पुरानी जनाधार को फिर से मजबूत करे और चुनावी मैदान में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे, इसके लिए सपा ने मिल्कीपुर से अपने पोस्टर बॉय, अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। सपा इस सीट को जीतकर बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में मिली हार का करारा जवाब देना चाहती है।

दोनों पार्टियों के लिए नैरेटिव की लड़ाई

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच यह लड़ाई सिर्फ चुनावी जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों पार्टियों के लिए यह नैरेटिव की लड़ाई भी बन गई है। हालांकि बीजेपी के लिए यह सीट खास महत्व रखती है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या-फैजाबाद सीट पर उसे हार का सामना करना पड़ा था, और अब वह इस सीट को जीतकर उस हार का बदला लेना चाहती है। वहीं, सपा इस उपचुनाव को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का अवसर मान रही है, खासकर जब पिछले कुछ उपचुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा है।

मिल्कीपुर में डेरा डाले नेता

बता दें कि मिल्कीपुर उपचुनाव में 5 फरवरी को मतदान होगा, और 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ ही मिल्कीपुर का परिणाम भी घोषित होगा। बीजेपी और सपा दोनों ही इस सीट पर अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर की चुनावी रणनीति पर खास ध्यान दिया है। योगी सरकार के कई मंत्री भी मिल्कीपुर में डेरा डाले हुए हैं, और यह चुनावी संघर्ष अब और भी दिलचस्प हो गया है।

कौन जीतेगा मिल्कीपुर?

खैर, मिल्कीपुर उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। हालांकि जनता का समर्थन कौन हासिल करेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इस चुनावी लड़ाई में कोई भी पार्टी अपनी पूरी ताकत छोड़ने को तैयार नहीं है। मिल्कीपुर उपचुनाव के इस चुनावी संघर्ष में कौन सी पार्टी विजयी होगी, यह देखना होगा। फिलहाल, दोनों ही पार्टियां पूरी ताकत के साथ अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रही हैं।

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