मस्जिद तो बहाना, सही मायनों में UCC को उत्तराखंड से हटाना, कट्टरपंथियों का बड़ा प्लान

हल्द्वानी में भड़का दंगा किसी अवैध अतिक्रमण पर हो रहे एक्शन के वजह से नहीं बल्कि UCC है। चलिए दिखाते हैं आपको कैसे ये हिंसा प्लांड था...

डिजिटल डेस्क: उत्तराखंड के हल्द्वानी में कट्टरपंथी मुस्लिमों ने गुरुवार शाम को खूब उपद्रव मचाया। इस हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं तो 6 लोगों की मृत्यु भी हुई है। हिंसा के पीछे कारण प्रशासन के द्वारा अवैध अतिक्रमण हटाना बताया जा रहा है। पर ये तो परदे पर चल रही कहानी है क्यूंकि परदे के पीछे तो पूरी पिक्चर पहले ही सेट हो चुकी थी। जी हाँ, आपने एकदम ठीक सुना। हल्द्वानी में भड़का दंगा किसी अवैध अतिक्रमण पर हो रहे एक्शन के वजह से नहीं बल्कि UCC है। चलिए दिखाते हैं आपको परदे के पीछे कैसे देश में बैठे कट्टरपंथियों ने बड़े ही सुनियोजित साजिश के साथ उत्तराखंड सरकार के फैसले पर अपना जवाब दिया है।

इस बात से तो आप सभी वाकिफ होंगे कि हाल ही में उत्तराखंड विधानसभा में धामी सरकार के तरफ से UCC विधेयक को पारित किया गया है। अब इसी को लेकर मुस्लिमों के सड़कों पर उतरने की धमकी पहले से ही बड़े मौलानाओं से लेकर मुस्लिम सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर दे रहे थे। इसमें बड़े नेता से लेकर देश में मौजूद कई कट्टरपंथी भी शामिल थे। ऐसी ही कई धमकियाँ अब वायरल हो रही हैं। एक पोस्ट में एक कट्टरपंथी मुस्लिम इन्फ्लुएन्सर शादाब चौहान, जो कि खुद को पीस पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बताता है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को धमकी देता दिखा था। उसने मुस्लिमों की ताकत को कम ना आँकने की धमकी दी थी।

इतना ही नहीं कांग्रेस के नेता भी लगातार इस मामले में भड़काऊ बयान जारी कर रहें थें। खुद उत्तराखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने भी ऐसे हालातों की चेतावनी दी थी। उन्होंने UCC पर कहा था कि इससे राज्य में अशांति हो सकती है। राज्य के हालत मणिपुर में तब्दील हो सकते हैं। उन्होंने UCC के बाद होने वाली हिंसा का उदाहरण कूकी-मैतेई समुदाय से जोड़कर दिया था। उनका यह बयान भी अब वायरल हो रहा है।

UCC के आते ही मुस्लिम मौलानाओं से भी मिली थी धमकियाँ

उत्तराखंड में UCC के आते ही मुस्लिम मौलानाओं ने धमकियाँ देना चालू कर दी थीं। देहरादून के शहर काजी हम्मद अहमद कासमी ने सड़क पर उतरने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि देश के बुद्धिमान लोग यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं मानते हैं। वहीं मुस्लिम युवाओं ने भी इस कानून को ना मानने की बात कही थी।

अब अगर इन बयानों को देखा जाए और आज उत्तराखंड में जो हालात हैं उनपर नजर डाला जाए तो साफ़ हो जाता है कि देवभूमि में जो कुछ भी हुआ वो प्री प्लांड था। गौरतलब है कि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी का एक समूह सामान नागरिक संहिता लाने के विरोध में था। कई कट्टरपंथी इसके खिलाफ बड़े प्रदर्शन और सड़कों को जाम करने की धमकी पहले ही दे चुके थे। फिर ठीक इसके दो दिनों के भीतर ही हल्द्वानी से हिंसा की खबर आना कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश ही हो सकता है।

लेखक: विश्वेश तिवारी (डिजिटल असोसिएट, भारत समाचार)

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