25 अक्टूबर को शाम साढ़े चार बजे के आस-पास आंशिक सूर्य ग्रहण दिया. भारत में सबसे पहले अमृतसर में सूर्यग्रहण दिखाई दिया. वास्तव में सूर्य ग्रहण एक सामान्य सी खगोलीय घटना है, हालांकि मान्यताओं के हिसाब से भारत में लोग इसे धार्मिक नजरिये से भी देखते हैं.
ऐसे में जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. इस खगोलीय घटना के दौरान सूर्य चन्द्रमा और धरती एक सीधी रेखा में होते हैं.
किसी भी ग्रहण के सूतक के समय भगवान की मूर्ति का स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है।व्यक्ति को, खाना-पीना, सोना, नाख़ून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना, बाल काटना अथवा कटवाना, निद्रा मैथुन आदि कार्य बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए.
ग्रहण काल में भोजन अशुद्ध हो जाता है. इस कारण ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से आप अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकते है. ग्रहण या सूतक से पहले ही यदि सभी खाने वाले पदार्थ यथा दूध ,दही ,चटनी ,आचार आदि में कुश रख देते है. तो यह भोजन दूषित नहीं होता है और आप पुनः इसको उपयोग में ला सकते है.