गिरफ्तारी व जमानत के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जिला न्यायालयों को दी नसीहत

सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी व जमानत के संदर्भ में पारित किए गए महत्वपूर्ण निर्णय का अनुपालन न करने पर जिला न्यायालयों नसीहत देते हुए नाराजगी व्यक्त की है।

सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी व जमानत के संदर्भ में पारित किए गए महत्वपूर्ण निर्णय का अनुपालन न करने पर जिला न्यायालयों नसीहत देते हुए नाराजगी व्यक्त की है। न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में टिप्पणी की। न्यायमूर्ति एसके कौल ने कहा कि “जिला न्यायपालिका उच्च न्यायालय की निगरानी में है। उनका मार्गदर्शन करना, उन्हें शिक्षित करना उच्च न्यायालय का कर्तव्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर नाराजगी जताई कि फैसला सुनाए जाने के 10 महीने बाद भी, जिला न्यायपालिका सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो 2022 (एससी) 577 मामले में जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रही है जिसमे गिरफ्तारी और जमानत के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश निर्धारित किए गये हैं । यह देखा गया है कि गैर-अनुपालन का दोहरा असर हो रहा है। पहला लोगों को हिरासत में भेजना जब भेजने की आवश्यकता नहीं है और दूसरा मुकदमेबाजी करना।

अप्रसन्न सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि मजिस्ट्रेट उक्त निर्णय में निर्धारित कानून की अवहेलना में आदेश पारित कर रहे हैं तो उन्हें अपने कौशल के उन्नयन के लिए न्यायिक अकादमियों में भेजे जाने की आवश्यकता हो सकती है। जिला न्यायपालिका पर निगरानी रखने वाले उच्च न्यायालय को भी यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का पालन किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार में यह उच्च न्यायालयों का कर्तव्य है कि यह सुनिश्चित करें कि अधीनस्थ न्यायपालिका उनकी देखरेख में देश के कानून का पालन करती है। यदि कुछ मजिस्ट्रेटों द्वारा इस तरह के आदेश पारित किए जा रहे हैं तो इसके लिए कुछ न्यायिक कार्य को वापस लेने की आवश्यकता भी हो सकती है और मजिस्ट्रेट को न्यायिक अकादमियों में उनके कौशल के उन्नयन के लिए भेजा जाना चाहिए।

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