आपराधिक इतिहास छिपाकर सरकारी नौकरी करने वालों की अब खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिपण्णी…

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में आपराधिक कार्यवाही खत्म होने के बाद भी पुनः तैनाती दी जाये या नहीं, इस पर विभाग को विचार करना होगा. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि किसी अपराध से बरी होने पर कर्मचारी पुनः नौकरी पाने का कतई अधिकारी नहीं है.

सोमवार को शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला दिया. शीर्ष अदालत ने यह फैसला आपराधिक इतिहास छिपाकर नौकरी प्राप्त करने वालों को सन्दर्भ में दिया. दरअसल, मामला केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में नौकरी करने वाले एक जवान का था. नियुक्ति के दौरान CRPF जवान ने अपने विरुद्ध न्यायलय में विचाराधीन एक मामले को भर्ती बोर्ड के सामने लोप कर दिया था.

बाद में जब CRPF प्रशासन को यह बात पता चली तो जवान को नौकरी से निकाल दिया गया. इसके बाद जवान ने अदालत का रुख किया. उसने दिल्ली उच्च न्यायलय में अपनी अपील दायर की. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने CRPF जवान की अपील खारिज कर दी. इसके बाद उन्होंने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया. लेकिन शीर्ष अदालत से भी जवान को राहत नहीं मिली.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और सख्त टिपण्णी की. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में आपराधिक कार्यवाही खत्म होने के बाद भी पुनः तैनाती दी जाये या नहीं, इस पर विभाग को विचार करना होगा. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि किसी अपराध से बरी होने पर कर्मचारी पुनः नौकरी पाने का कतई अधिकारी नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि नौकरी प्राप्त करते समय व्यक्ति द्वारा अपने सम्बन्ध में सही तथ्य छिपाये गए हैं तथा उन तथ्यों के विषय में बाद में जानकारी होती है तो विभाग नौकरी प्राप्त व्यक्ति को तत्काल पद से हटा सकता है. साथ ही मामला विचाराधीन होने की स्थिति में अपराध से बरी होने के बाद भी कर्मचारी पुनः नौकरी पाने का कतई अधिकारी नहीं है.

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