आखिर क्यों फटते हैं बादल…मानसून में ही क्यों बढ़ती हैं ये घटनाएं…. कैसे आती है तबाही….देखें हमारी पूरी रिपोर्ट…

हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड में कई जगह भूस्‍खलन के कारण स्‍थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा.

मैदानी इलाकों के साथ ही पहाड़ी इलाकों में भी बारिश आफत बनकर टूटी है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि कई पहाड़ी इलाकों में भी बाढ़ आ गई. भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड में कई जगह भूस्‍खलन के कारण स्‍थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा. केरल के वायनाड से लेकर उत्तराखंड के केदारनाथ और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और मंडी जिलों में इसके चलते तबाही जैसे हालात बने हुए हैं. कई तरह की घटनाएं लगातार सामने आती ही रहती है… इसी बीच आज हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर बादल फट गए हैं. शिमला जिले की रामपुर सबडिवीजन में और पाकिस्तान सीमा के करीब पठानकोट में बादल फटने की घटना से बाढ़ और लैंडस्लाइड के हालात बन गए हैं. हिमाचल में पिछले 17 दिन के अंदर यह छठा मौका है, जब बादल फटने की घटना हुई है. इससे पहले 31 जुलाई की रात में 4 जगह बादल फटे थे, जिनसे बेहद तबाही मची थी. इसके बाद 3 अगस्त को भी बादल फटने की घटना हुई थी. इन सब घटनाओं के बारे में जानकर आपके मन में भी आ रहा होगा कि आखिर बादल फटना क्या होता है? यह घटना कब और कैसे होती है? बादल फटने का कारण क्या होता है और ये घटनाएं मानसून सीजन में ही क्यों ज्यादा देखने को मिलती हैं? चलिए हम आपको इन सभी बातों का जवाब देते हैं.

क्या होता हैं बादल फटना

दरअसल बादल फटना उस घटना को कहते हैं, जिसमें किसी एक जगह अचानक बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है. मौसम विज्ञानी इसे 1 घंटे के मानक पर आंकते हैं. यदि 1 घंटे के अंदर कहीं 100 mm या उससे ज्यादा बारिश होती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं. इसे साइंटिफिक लेंग्वेज में ‘फ्लैश फ्लड’ भी कहा जाता है. इसमें ऐसा प्रभाव होता है जैसे, आप बाल्टी भरकर अचानक उसे किसी एक जगह पर उड़ेल दें.

बादल फटने की घटना क्यों और कब होती हैं

जब तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. इससे बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है. इससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है.

पहाड़ों पर ही क्यों होती हैं ये घटनाएं

बता दें कि बादल फटने की घटना वैसे तो कभी भी और कहीं पर भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर ऐसी घटनाएं मानसून के समय पहाड़ी इलाकों में देखने को मिलती है। दरअसल, बादल फटने की घटना अमूमन धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर पर होती है। पहाड़ी इलाकों में पानी से भरा बादल दो पहाड़ों के बीच फंस जाता है और अचानक यह पानी में बदल जाते हैं। यही कारण है कि एक ही जगह पर बहुत ज्यादा और तेज बारिश होने लगती है।

कैसे आती है तबाही

बादल फटने के कारण तबाही का असली कारण तेजी से आए जल सैलाब से बाढ़ जैसे हालात पैदा होना होता है. नदी-नालों में पानी भयावह गति से दौड़ता है, जो किनारे तोड़कर आसपास के इलाकों तक में बाढ़ ले आता है. पानी की बहुत ज्यादा गति होने के कारण मिट्टी कट जाती है. यदि पहाड़ी इलाका होता है तो ढलान पर यह गति और ज्यादा हो जाती है, जो बड़े-बड़े बोल्डरों को भी अपने साथ लुढ़काकर लाती है, जिनकी चपेट में आकर बड़े-बड़े भवन, पुल आदि भी ध्वस्त हो जाते हैं. इसके चलते वहां जान-माल की हानि ज्यादा होती है.

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