प्रतिष्ठा का सवाल बना घोसी उप चुनाव, सपा-भाजपा ने उतारी प्रचारकों की फौज, कारगर होगा BJP का पसमांदा फॉर्मूला ?

यूपी में इन दिनों घोसी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. सपा-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जाने वाली इस सीट पर दोनों दल के दिग्गज नेता प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं. जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूर्व में जनसभा को संबोधित किया था, वहीं सीएम योगी भी आज शनिवार को चुनावी जनसभा संबोधित करेंगे.

लखनऊ; यूपी में इन दिनों घोसी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. इस राजनीतिक गहमागहमी में अब सीएम योगी की भी एंट्री हो गई है. शनिवार को सीएम योगी घोसी के चीनी मिल मैदान में बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के समर्थन में जनसभा को संबोधित करेंगे. गौरतलब है कि पहले ही भाजपा के कई कद्दवार नेता घोसी में डेरा डाले हुए हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक दारा सिंह को जिताने के लिए जी जान से लगे हुए हैं. साथ ही सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर व निषाद पार्टी प्रमुख डॉ संजय निषाद अपने पूरे कुनबे के साथ घोसी के गांव-गांव की गलियां छान रहे हैं और अपने-अपने समाज को दारा सिंह के लिए एकजुट कर रहे हैं.

वहीं, साइकिल से उतर कर कमल खिलाने को बेकरार बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान भी पुराने खिलाड़ी हैं. वह जानते हैं मुकाबला कड़ा है. सपा की तरफ से लगातार कड़ी टक्कर मिल रही है. इसलिए उन्होंने भी अपने पूरे तंत्र को एक्टिव कर दिया है. चौहान जानते हैं कि जरा सी भी चूक उनके लिए भारी पड़ सकती है.

शिवपाल सिंह ने ली शपथ !

घोसी उपचुनाव को लेकर सपा की तरफ से चाचा शिवपाल ने मोर्चा संभाल हुआ है. वह लगातर मैदान में डटे हैं. चाचा शिपपाल ने कसम खाकर यह जाहिर कर दिया है कि कैसे उन्होंने घोसी के चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. शिवपाल ने कसम खाई है कि जब तक अपने प्रत्याशी सुधाकर सिंह को वो जिता नहीं देंगे, तब तक घोसी छोड़कर नहीं जाएंगे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपनी चुनावी जनसभा कर बीजेपी को यह संकेत दे दिया है कि मामला कहीं से भी 19 नहीं है.

घोसी से कौन दल कितनी बार जीता

सपा-बीजेपी के इतर अगर घोसी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह सीट पिछड़ा बाहुल्य मानी जाती है. 1957 में घोसी सीट अस्तित्व में आई, तब से अब तक यहां हुए चुनावों में यहां 4 बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और इतनी ही बार भाजपा का कब्जा रहा है. वहीं, कांग्रेस तीन बार. सपा- बसपा ने दो बार, जबकि जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल ने एक-एक बार यहां से अपना परचम लहराया है.

घोसी का जातीय समीकरण

अगर इस सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां कुल मतदाता 4 लाख 25 हजार के करीब हैं. इनमें से मुस्‍लिम वोटर करीब 90 हजार हैं जबकि दलित 70 हजार, यादव 56 हजार, राजभर 52 हजार, चौहान वोटर करीब 46 हजार हैं. वहीं, 19 हजार निषाद मतदाता, 15 हजार क्षत्रिय, 45 हजार भूमिहार, 7 हजार ब्राम्हण, 30 हजार बनिया… जिसमें जायसवाल, साहू, वैश्य, बरनवाल, स्वर्णकार आदि जातियां शामिल हैं.

क्या कारगर होगा बीजेपी का पसमांदा फॉर्मूला ?

माना जा रहा कि इस चुनाव में यह भी तय हो जाएगा की बीजेपी का पसमंदा फॉर्मूला कितना कारगर साबित होता है. क्योंकि, घोसी सीट पर 90 हजार मुस्लिम मतदाताओं में से करीब 70 हजार मुस्लिम मतदाता ऐसे हैं जो पसमांदा समाज से आते हैं. अगर 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें.. तो उस समय सपा से प्रत्याशी रहे दारा सिंह चौहान को कुल 108,430 मिले थे. वहीं, तब भाजपा के उम्मीदवार विजय राजभर को 86,214 वोट से संतोष करना पड़ा था. साथ ही बसपा उम्मीदवार वसीम इकबाल को 54,248 वोट मिले थे.

भाजपा-सपा के दिग्गज मैदान में

कहा जा रहा है घोसी का यह उप चुनाव लोकसभा चुनाव के सेमीफाइल के तौर पर देखा जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी और सपा ने अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए प्रचारकों की फौज उतार दी है. सपा ने जहां इस सीट पर अखिलेश यादव, शिवपास सिंह जैसे दिग्गज प्रचारकों को मैदान में अतारा है. तो वहीं भाजपा की तरफ से सीएम योगी, दोनों डिप्टी सीएम, कई मंत्री, निषाद पार्टी व सुभासपा के प्रमुख अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं.

जनता क्या देगी जनादेश ?

फिलहाल हाईवोल्टेज घोसी विधानसभा उपचुनाव को लेकर 5 सितंबर को मतदान होना है. वहीं, नतीजे 8 सितंबर को आने हैं. अब यह देखने होगा कि घोसी की जनता दारा सिंह चौहान का कमल खिलाती है. या फिर साइकिल पर सवार कर सुधाकर सिंह को लखनऊ भेजती है.

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