डिजिटल डेस्क- जब से बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए हैं, तब से सियासी गलियारों में मानों भूचाल सा आ गया है. कुछ दल के नेताओं ने आंकड़े जारी करने पर बिहार सरकार की तारीफ की.तो वहीं बीजेपी के ऊपर अब दूसरे राज्यों में जाति जनगणना कराने का प्रेशर सा आ गया है. क्योंकि 2011 तक की जनगणना में हर बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा दिया गया था.
बिहार में जाति जनगणना के बाद उत्तर प्रदेश में जाति जनगणना की मांग तेज हो गई है.विपक्ष के नेताओं ने जातीय जनगणना की मांग तेज की है. देश के विकास के लिए जातीय जनगणना बेहद जरूरी है.बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग तेज की है. समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर जगह-जगह पिछड़े समाज के लोगों के साथ बैठक कर रही है. पिछड़ा वर्ग लगातार बैठक कर जातीय जनगणना की मांग उठा रहा है समाजवादी पार्टी की पिछड़ा वर्ग इकाई इस पूरे मामले को धार देने में जुटी है.
उत्तर प्रदेश की सियासत को जातीय पिच पर लाने की कोशिश अब और तेज हो गई है. और अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के झंडे के सामने जाति और जनगणना का मुद्दा है. क्योंकि बीते दिनों में अखिलेश,राहुल समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बिहार सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा था कि ये जाति जनगणना होना बेहद जरुरी है,तभी हर वर्ग का विकास होगा.
इसी बीच जानकारी सामने आ रही है कि हर क्षेत्र में दलित और महिला सम्मेलन भाजपा करेगी. इसी महीने प्रदेश में महिला और दलित सम्मेलन बीजेपी पार्टी करेगी. सम्मेलनों की रूपरेखा तय करने के लिए जल्द बैठक भी हो सकती हैं.
लोकसभा चुनाव जीतने ही नजदीक हैं उतना ही दलितों की सियासत पर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए है. देखने वाली बात ये हैं कि इसमें किस दल को कितना फायदा होगा. ये वक्त ही बताएगा.