यूपी के लाल ने दुनिया में फहराया परचम, अमेरिका की परमाणु बम वाली लैब में बतौर वैज्ञानिक मिली तैनाती

बस्ती के लाल को पाकिस्तान ने चयनित किया था। पाकिस्तान से किसी भी छात्र का चयन न होने पर पाकिस्तान को मजबूरन भारतीय नागरिक अवनीश मिश्रा का चयन करना पड़ा। अवनीश को अमेरिकी सरकार रक्षा व विज्ञान मंत्रालय में दो करोड़ रुपए के पैकेज पर तैनाती मिली है।

रिपोर्ट- अनुज प्रताप सिंह (बस्ती)

बस्ती. बस्ती के लाल को पाकिस्तान ने चयनित किया था। पाकिस्तान से किसी भी छात्र का चयन न होने पर पाकिस्तान को मजबूरन भारतीय नागरिक अवनीश मिश्रा का चयन करना पड़ा। अवनीश को अमेरिकी सरकार रक्षा व विज्ञान मंत्रालय में दो करोड़ रुपए के पैकेज पर तैनाती मिली है। अवनीश की मानें तो इस पद पर तैनाती पाने वाले विश्व के पहले नान यूएस सिटीजन चुने गए हैं। अवनीश इस उपलब्धि का पूरा श्रेय अपने भाई अविनाश मिश्रा और माता पिता को दिया है। अवनीश मिश्रा को अमेरिका की जिस परमाणु लैब ने हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराने वाले परमाणु बम बना था उसी अमेरिकी लैब में बतौर वैज्ञानिक तैनाती मिली है। अवनीश को जिले के सांसद समेत बस्ती की जनता का खूब आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।

मन में संकल्प हो तो दुनिया के किसी भी देश में आप अपना झंडा बुलंद कर सकते हैं। अपनी शिक्षा से अमेरिका में भी डंका बजाने वाले बस्ती के लाल ने एक ऐसा कीर्तिमान हासिल किया जिसे भारत ही नहीं अमेरिका भी सराहने में पीछे नहीं रहा। इस पद पर तैनाती पाने वाले अवनीश मिश्रा विश्व के पहले नान यूएस सिटीजन है जो अमेरिका के डिफेंस व साइंस मिनिस्ट्री के अधीन स्थापित नेशल लैब आलामास में फेलोशिप के आधार पर काम की शुरुआत की है। अवनीश के चयन से मोहल्ले समेत घर वालों में खुशी की लहर है सभी एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अवनीश को आशीर्वाद दे रहे हैं।

दरअसल, सदर कोतवाली क्षेत्र के खीरी घाट निवासी फर्माशिष्ट वीके मिश्र और निजी विद्यालय की शिक्षिका आभा मिश्र के परिवार में अवनीश मिश्रा ने एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसे सुन घर वालों के साथ साथ देश भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है। अवनीश मिश्रा के बड़े भाई अविनाश मिश्रा ने बताया की बेसिक शिक्षा उन्होंने बस्ती से ही प्राप्त की। किसान पीजी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी से Msc करने के बाद बैंगलुरू इंडियन इंस्टीयूट ऑफ साइंस से PhD की शिक्षा ग्रहण की। यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट बोस्टन अमेरिका से पोस्ट डाक कोर्स किया। पोस्ट डाक पूरा करने के बाद अमेरिका के डिफेंस व साइंस मिनिस्ट्री से नेशनल लैब आलामास में फेलोशिप के आधार पर काम करना शुरू कर दिया। एक साल तक फेलोशिप काम करने के बाद गवर्नमेंट ऑफ अमेरिका ने बतौर साइंसिस्ट नियुति दी है।

साथ ही उन्होंने बताया की इटली में गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान द्वारा अबू सैयद इंटीट्यूट है जब ये बैंगलोर में रह रहे थे तो पूरे एशिया से कुछ मेधावी छात्रों को बुलाया जाता था और जिस ग्रुप से ये गए थे उस ग्रुप से एशिया से पाकिस्तान का कोई भी छात्र मौजूद नही था और इंडिया से ये उस प्रेस कांफ्रेंस में प्रतिभाग करने गए थे ये भी एक गौरवान्वित का विषय है की जिसे देश की फंडिंग से इटली में इंस्टीट्यूट चल रहा हो उस देश से उसके यहां का कोई छात्र नही मिला और इंडिया से इन्हे चुना गया। लोग कहते थे कि इसमें कुछ अलग बात है पारंपरिक क्षेत्र में नही रहेगा कुछ अलग करके दिखाएगा और करके दिखा दिया है।

वहीं अवनीश की माता आभा मिश्रा ने बताया की मेरा बेटा शुरू से ही पढ़ने में माहिर था साथ ही साथ वो क्रिकेट खेलने में भी माहिर था। जैसे ही स्कूल से आता था तो क्रिकेट खेलने के लिए निकल जाता था। जहां कोई पहुंच नही सकता वहां पहुंच कर मेरे बेटे ने ने भारत देश का का नाम ऊंचा कर दिया है। हम सब बहुत ही ज्यादा गौरवान्वित है।

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