Desk : सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर (FIR) दर्ज को लेकर अहम फैसला लिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला लेते हुए कहा है कि संज्ञेय अपराध में एफआईआर (FIR) दर्ज होनी चाहिए. आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सामान्य डायरी (General Diary) में एंट्री पर्याप्त नहीं. ऐसे में संज्ञेय अपराध एक ऐसा गंभीर अपराध होता है जिसमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार प्राप्त है. और वह बिना किसी न्यायायिक मैजिस्ट्रेट की अनुमति के जांच शुरू कर सकती है.
आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में कहा है कि सामान्य डायरी प्रविष्टि एफआईआर के पंजीकरण से पहले नहीं हो सकती है. सिवाय इसके कि जहां प्रारंभिक जांच की आवश्यकता हो सके. संज्ञेय अपराध के घटित होने का खुलासा करने वाली जानकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए, न कि पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत पुलिस द्वारा रखी गई सामान्य डायरी में.
ऐसे में संहिता की धारा 154 के प्रावधान लागू होंगे. जो पुलिस अधिनियम से अभिभावी होंगे और पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 44 के प्रावधान (या अन्य संबंधित राज्यों में संबंधित पुलिस अधिनियम या नियमों के समान प्रावधान) प्रतिकूलता की सीमा तक शून्य होंगे.