भ्रष्टाचार पर बड़ी चोट : राजस्व को 26 लाख का चुना लगाने वाले 14 वाणिज्यकर अधिकारियों पर गिरी गाज, किये गए सस्पेंड

सभी निलंबित अधिकारियों पर यह आरोप है कि पिछले वर्ष 26 व 27 जुलाई को इन्होने दो वाहनों यूपी-23 टी-5177 और यूपी-23 एटी-1745 को जांच के लिए पकड़ा था और इनसे धनउगाही करते हुए और भारी अनियमितता के साथ करचोरी को प्रोत्साहित किया। दोनों मामलों में प्राथमिक कार्रवाई करके निलम्बन आदेश पारित हुआ है।

सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत शासन ने कर चोरी में संलिप्त पाए गए मुरादाबाद के वाणिज्य कर विभाग के 14 अधिकारियों को निलम्बित दिया गया है। अधिकारीयों ने मिलकर 25 लाख रुपये का घपला किया था। निलंबित किए गए वरिष्ठ अधिकारियों में दो एडिशनल कमिश्नर, चार ज्वाइंट कमिश्नर, चार असिस्टेंट कमिश्नर और चार वाणिज्य कर अधिकारी शामिल हैं।

कई बड़े अधिकारी हुए सस्पेंड

एडीशनल कमिश्नर ग्रेड-1 अरविन्द कुमार-1, एडीशन कमिश्नर ग्रेड-2 अवधेश कुमार सिंह, विशेष अनुसंधान शाखा सम्भाग-ए के ज्वाइंट कमिश्नर अनिल कुमार राम त्रिपाठी, सम्भाग बी. की विशेष अनुसंधान शाखा के ज्वाइंट कमिश्नर चन्द्र प्रकाश मिश्र को सस्पेंड कर दिया गया है वहीं इनके अतिरिक्त ज्वाइंट कमिश्नर कारपोरेट श्याम सुन्दर तिवारी, सम्भाग बी. के कार्यपालक ज्वाइंट कमिश्नर अनूप कुमार प्रधान, सचल दल चतर्थु इकाई के असिस्टेंट कमिश्नर कुलदीप सिंह प्रथम पर भी निलंबन की कार्रवाई हुई है।

वाणिज्य कर अधिकारियों के निलंबन की इस कड़ी में और भी कई नाम शामिल हैं। सचल दल पांच और सचल दल छह के असिस्टेंट कमिश्नर को भी निलंबित कर दिया गया है। सचल दल पांच के असिस्टेंट कमिश्नर सत्येन्द्र प्रताप के साथ सचल दल छह के असिस्टेंट कमिश्नर राकेश उपाध्याय को निलंबित किया गया है। इनके अलावा सचल दल प्रथम इकाई के वाणिज्य कर अधिकारी आशीष माहेश्वरी, सचल दल द्वितीय इकाई के असिस्टेंट कमिश्नर देवेन्द्र कुमार प्रथम, सचल दल चतुर्थ इकाई के वाणिज्य कर अधिकारी विजय कुमार सक्सेना को भी कार्यभार से मुक्ति दे दी गई है। वहीं विशेष अनुसंधान शाखा के वाणिज्य कर अधिकारी नवीन कुमार को भी निलम्बित कर दिया गया है।

25 लाख रुपये की कर चोरी का आरोप

सभी निलंबित अधिकारियों पर यह आरोप है कि पिछले वर्ष 26 व 27 जुलाई को इन्होने दो वाहनों यूपी-23 टी-5177 और यूपी-23 एटी-1745 को जांच के लिए पकड़ा था और इनसे धनउगाही करते हुए और भारी अनियमितता के साथ करचोरी को प्रोत्साहित किया। दोनों मामलों में प्राथमिक कार्रवाई करके निलम्बन आदेश पारित हुआ है। आदेश में भ्रष्ट अधिकारियों से कम टैक्स / अर्थदण्ड जमा करवाया गया। इस अफसरों के खिलाफ अनियमित कार्यप्रणाली के मद में पुनः संशोधित आदेश पारित किया गया और दंड के रूप में हानि हुए टैक्स और जुर्माना वसूले जाने की कार्रवाई हुई।

जानकारी के मुताबिक दोनों मामलों में तत्कालिक समय में क्रमश 10 लाख 97 हजार 705 रुपये और 15 लाख 37 हजार 121 रुपये की राजस्व हानि हुई। इन आला अधिकारियों ने राजस्व को कुल लगभग 25 लाख रूपये का चुना लगाया जिसके बाद यह दंडात्मक कार्रवाई की गई है। ये सभी अधिकारी मामले की जांच के लिए गठित भौतिक सत्यापन कमेटी के सदस्य थे जिन्होंने फर्जी तरीके से मामले के प्रमुख आरोपियों का बचाव करने के लिए अनियमित कार्यप्रणाली अपनाते हुए तथ्यों को छिपाया और भ्रामक रिपोर्ट प्रेषित की जिसके बाद सभी 14 अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई।

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