दलित पार्षद कांड में बीजेपी का रिवर्स स्विंग- मंत्री को जिंदा जलाने के ऐलान के साथ ही “समझौता”

मेरठ में बीते 8 दिनों से नगर निगम की बोर्ड बैठक में दलित पार्षदों की पिटाई का मामला लखनऊ से दिल्ली तक गूंज रहा था. शनिवार को कलेक्ट्रेट में दलित समाज के धरना प्रदर्शन के दौरान योगी के मंत्री को जिंदा जलाने का ऐलान इस मामले को समझौते की मेज तक ले आया। देर शाम इस मामले में समाजवादी पार्टी के दलित पार्षद कुलदीप उर्फ कीर्ति घोपला ने समझौता कर लिया है।

दलित समाज के धरना प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के नेता और सपा सरकार में मंत्री रहे मुकेश सिद्धार्थ ने यूपी सरकार के मंत्री सोमेंद्र तोमर को जिंदा जलाने का ऐलान किया था। माना जा रहा है कि दलितों की आवाज को मुकेश सिद्धार्थ और योगेश वर्मा ने सत्ता के हाथों बेच डाला और सपा पार्षद कुलदीप घोपला को समझौता करने के लिए घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

मुकेश सिद्धार्थ के विवादित ऐलान के बाद भाजपा संगठन और नेता सक्रिय हुए. इस धरना प्रदर्शन का कारण बने कुलदीप घोपलाको उनके घर से पुलिस और एक मजिस्ट्रेट मेरठ के सर्किट हाउस में लेकर आए. यहां बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई, मेरठ शहर के मेयर हरिकांत अहलूवालिया, ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, महानगर भाजपा के अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज और जिला अध्यक्ष भाजपा शिवकुमार राणा मौजूद थे.

सपा पार्षद कुलदीप घोपला और बीजेपी के नेताओं के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ. समझौते को लेकर कुलदीप घोपला पर दबाव बनाया गया। कुलदीप घोपला को बताया गया कि मुकेश सिद्धार्थ के विवादित ऐलान के मामले में अब बड़ी कार्रवाई होगी. सपा पार्षद कुलदीप का नाम भी इस केस में दर्ज कराया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो सपा पार्षद कुलदीप घोपला को महीनों की जेल और कानूनी कार्रवाई भी झेलनी होगी.

कुलदीप को बताया गया कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। धरना-प्रदर्शन के दौरान विवादित ऐलान के बाद कुलदीप घोपला इस परिस्थिति के लेकर पहले से आशंकित थे. करीब 2 महीने घंटे की मशक्कत के बाद समझौता संपन्न हो गया.

कुलदीप घोपला ने अपने साथी पार्षद आशीष चौधरी द्वारा पहले से लिखे गए समझौता पत्र पर अपने दस्तखत किये और इस समझौता पत्र को मेरठ के डीएम के आवास पर जाकर उन्हें सौंप दिया. फोन से संपर्क करने पर जब इस मामले में कुलदीप घोपला से बातचीत का प्रयास किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि अब समझौता हो गया है. उनके साथ 30 दिसंबर 2023 को ना किसी ने मारपीट की और ना ही जातिसूचक शब्द कहे. उन्होने बताया कि ऐसा लिखा गया एक पत्र उन्होंने डीएम को सौंपा है.

इस समझौते के बाद पुलिस ने समाजवादी पार्टी के नेता मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. यह मुकदमा मेरठ सिविल लाइन थाने के इंस्पेक्टर महेश राठौर की ओर से इसी थाने में दर्ज कराया गया है. मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ 8 गंभीर धाराओं के अलावा सेवन क्रिमिनल अमेंडमेंट एक्ट के तहत भी केस दर्ज हुआ है.

आरोपी मुकेश सिद्धार्थ ने दलित समाज के धरना-प्रदर्शन के दौरान यह ऐलान किया था कि अगर 10 जनवरी तक मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर और धर्मेंद्र भारद्वाज के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करती, उनकी गिरफ्तारी नहीं करती तो इसके बाद डॉ सोमेन्द्र तोमर को जिंदा जला दिया जाएगा. उनके घर में भी आग लगाई जाएगी.

मुकेश सिद्धार्थ का यह बयान धरना-प्रदर्शन में उसे दौरान दिया गया जब विपक्ष के कई दलों के नेता वहां मौजूद थे. धरना प्रदर्शन और आगे की रणनीति को लेकर किसी भी नेता ने आक्रामक रुख नहीं अपनाया था. लेकिन मुकेश सिद्धार्थ के हाथ में माइक आते ही उन्होंने आपत्तिजनक ऐलान शुरू कर दिया.

इस ऐलान के दौरान दलित समाज के धरना-प्रदर्शन का आयोजन करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता योगेश वर्मा मुस्कुराते हुए नजर आए. मुकेश सिद्धार्थ के ऐलान के बाद योगेश वर्मा ने माइक पर कहा कि उनका मुकेश सिद्धार्थ के बयान से कोई लेना-देना नहीं है. वह संवैधानिक व्यवस्था में यकीन करते हैं. आश्चर्यजनक रूप से दलित समाज के धरना-प्रदर्शन का आयोजन करने वाले सपा नेता योगेश वर्मा के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

राजनीति के पंडित यह मान रहे हैं कि 10 जनवरी की महापंचायत के ऐलान के बावजूद कलेक्ट्रेट में दलित समाज का यह धरना-प्रदर्शन एक विशेष प्रयोजन से आयोजित किया गया था. मुमकिन है कि योगेश वर्मा और मुकेश सिद्धार्थ इस मकसद के सूत्रधार और किरदार दोनों ही हो. समाजवादी पार्टी के पार्षद कुलदीप घोपला और भाजपाइयों के बीच जिस समझौते को बेहद कठिन माना जा रहा था, उसे एक आयोजन और उसे आयोजन में मुकेश सिद्धार्थ के एक विवादित ऐलान ने बेहद सहज और सरल बना दिया.

समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के कई नेता इस समझौते के बाद दलित समाज के धरना प्रदर्शन के आयोजन और विवादित ऐलान से जुड़े नेताओं के कनेक्शन भाजपा नेताओं से जोड़ रहे हैं. वह मान रहे हैं कि यह कार्यक्रम भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा था जिसमें समझौते के लिए हालात पैदा करने थे.

“समाजवादी पार्टी के नेता योगेश वर्मा ने कयासों पर विराम लगाते हुए कहा है कि मुकेश सिद्धार्थ ने पहले से ऐसी किसी रणनीति के बारे में नही बताया था. वह बीजेपी के नेताओं से जुड़े हुए हो सकते है. बहुत संभव है कि बीजेपी नेताओं के फायदे के लिए समझौते के हालात बनाने को मुकेश सिद्धार्थ ने यह बयान दिया हो. आने वाले दिनों में अगर मुकेश सिद्धार्थ पर दर्ज मुकदमे के तहत कार्रवाई नही होती तो उस बात पर मुहर भी लग जायेगी. हमारी जिंदगी दलितों के हितों के समर्पित है. हमने गांव-गांव जाकर लोगो से इस आंदोलन से जुड़ने के लिए आह्वान किया था और हमारे कहने पर ही हजारों की तादात में लोग पहुंचे भी.”

समाजवादी पार्टी ने मुकेश सिद्धार्थ के विवादित ऐलान से किनारा करते हुए पूरे मामले की जानकारी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजी है. सपा अध्यक्ष को विवादित ऐलान के बाद हुए समझौते के बारे में भी बताया गया है और मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गयी है. यह जानकारी सपा जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने दी है.

मुकदमा लिखे जाने के बाद से मुकेश सिद्धार्थ भूमिगत है और उनके सभी फोन नंबर बंद जा रहे है. इसलिए उनसे सम्पर्क नही हो सका.

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