सुप्रीम कोर्ट की नोएडा ऑथरिटी को फटकार कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करना चाहते हैं?

जमीन अधिग्रहण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन लेने के बाद उचित मुआवजा नहीं देना सामान्य हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचने के बाद भी आप आदेशों का पालन नहीं करना चाहते हैं? हमने कई मामलों में देखा है कि आपने जमीन भी है और मुआवजा नहीं दिया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 रुपये या 10 रुपये यह अदालती आदेशों का पालन करने का तरीका नहीं है। नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु माहेश्वरी को अवमानना मामले में गैर ज़मानती वारंट में मिली सुप्रीम कोर्ट से मिला गिरफ्तारी से संरक्षण जारी रहेगा।सुप्रीम कोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी की याचिका पर नोटिस जारी किया है।सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

जमीन अधिग्रहण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन लेने के बाद उचित मुआवजा नहीं देना सामान्य हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट मामला पहुंचने के बाद भी आप आदेशों का पालन नहीं करना चाहते हैं? हमने कई मामलों में देखा है कि आपने जमीन भी है और मुआवजा नहीं दिया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 रुपये या 10 रुपये यह अदालती आदेशों का पालन करने का तरीका नहीं है। नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु माहेश्वरी को अवमानना मामले में गैर ज़मानती वारंट में मिली सुप्रीम कोर्ट से मिला गिरफ्तारी से संरक्षण जारी रहेगा।सुप्रीम कोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी की याचिका पर नोटिस जारी किया है।सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अवमानना मामले में गैर ज़मानती वारंट जारी करने पर हैरानी भी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा माहेश्वरी के देरी से कोर्ट में पहुंचने पर वारंट जारी करने पर हैरानी जताते हुए कहा यह तरीका नहीं है। सुनवाई के दौरान माहेश्वरी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माहेश्वरी कोर्ट पहुंची थी लेकिन उनको कोर्ट पहुंचने में थोड़ी देरी हो गई थी। वहीं हाई कोर्ट में मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से वकील विकास सिंह ने कहा कि माहेश्वरी को हाई कोर्ट के आदेश की तामील करते हुए कोर्ट में पेश होने दिया जाए वरना अवमानना मामले का कोई मतलब नहीं रह जायेगा। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मामला हमको सुनने दिए और आदेश पारित करने दिए।

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ ने नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले पेश नहीं होने पर जारी गैर ज़मानती वारंट के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। नोएडा ऑथरिटी की CEO रितु माहेश्वरी ने अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से अपने खिलाफ जारी गैर ज़मानती वारंट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर आप हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो आपको इसका नतीजा झेलना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था आप IAS अधिकारी हैं, आपको नियम पता है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश अधिकारियों द्वारा पालन नहीं करने पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने यूपी के अधिकारियों पर नाराजगी भी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर दूसरे दिन कुछ अधिकारी गंभीर मामलों में भी निर्देश के लिए कोर्ट का जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम हर रोज़ इलाहाबाद HC के आदेशों का उल्लंघन होता है,  यह दिनचर्या हो गई है, हर रोज़ एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है, यह क्या है? आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते हैं।

दरअसल, नोएडा के सेक्टर 82 में प्राधिकरण ने 1989 को और 1990 में अर्जेंसी क्लॉज के तहत भूमि का अधिग्रहण किया था, जिसके खिलाफ जमीन के मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2016 में मनोरमा के पक्ष में फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत प्राधिकरण के द्वारा लिए गए जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया और प्राधिकरण को आदेश दिया केई याचिकाकर्ता को सर्किल रेट से दुगने दरों में मुआवजा देने को कहा था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने  सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में सुनाया और इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करने का आदेश प्राधिकरण को दिया। आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को मुआवजा नहीं दिया गया तो याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना का याचिका प्राधिकरण के खिलाफ दायर की, जिसके बाद हाई कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रितु महेश्वरी को दो बार कोर्ट में बुलाया। लेकिन वह नहीं पहुंच पाई।  जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए पुलिस कस्टडी में अदालत के अंदर पेश होने का आदेश दिया।

Related Articles

Back to top button