Hijab Row पर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई जारी, मुस्लिम छात्राओं की दलील- घूंघट, चूड़ी, पगड़ी, क्रॉस को छूट तो हिजाब पर सवाल क्यों ?

Hijab Row: कर्नाटक हिजाब विवाद मामले को लेकर हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है। इसी कड़ी में आज भी कोर्ट दोपहर 2.30 बजे हिजाब विवाद पर सुनवाई करेगा। हिजाब विवाद को लेकर हाईकोर्ट में चौथे दिन बुधवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से जिरह करते हुए अधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने कहा कि अकेले हिजाब का ही जिक्र क्यों है, जब दुपट्टा, चूड़ियां, पगड़ी, क्रॉस और बिंदी जैसे सैकड़ों धार्मिक प्रतीक चिन्ह लोगों द्वारा रोजाना पहने जाते हैं। आज फिर सुनवाई होगी।

भारत के बाद हिजाब विवाद पर दुनिया भर से लोगो की प्रतिक्रियाएं आने लगी है। अब इस विवाद पर अमेरिका ने भी अपना बयान जारी कर दिया है. भारत में मुस्लिम छात्रों की हिजाब पहनने की मांग को लेकर उठे विवाद के बीच अमेरिका ने कर्नाटक की आलोचना की है। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर उपजे तनाव पर अमेरिका ने कहा कि स्कूलों-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है. धार्मिक कपड़ों की इजाजत देना है या नहीं, यह कर्नाटक को तय नहीं करना चाहिए।

इस मामले पर अमेरिका की तरफ से कहा गया कि , ‘धार्मिक स्वतंत्रता में लोगों को अपने धार्मिक कपड़ों को चुनने की पूरी आजादी होती है। भारतीय राज्य कर्नाटक को धार्मिक कपड़ों की अनुमति का निर्धारण नहीं करना चाहिए। स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और महिलाओं और लड़कियों को कलंकित और हाशिए पर लाता है।’

दुनिया की सबसे छोटी नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा कि लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूलों में प्रवेश करने से रोकना गलत है। मलाला कहा, ‘हिजाब पहनने वाली लड़कियों को स्कूलों में प्रवेश करने से रोकना भयावह है. महिलाओं पर कम या ज्यादा कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई जाती है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर रखना बंद करना चाहिए।’

कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से शिक्षा के वातावरण में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।

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