
सेना के एक अभियान में गलत पहचान की वजह से मरे 14 नागरिकों के मामले पर नागलैंड के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। इस बीच, नागालैंड सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को निरस्त करने की मांग की है। कानून सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘अशांत क्षेत्रों’ में सेना को व्यापक अधिकार देता है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने बीते सोमवार को यह कहा था कि सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम, 1958 उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कानून और व्यवस्था के मुद्दों को हल करने करने के लिए प्रतिकूल रहा है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि अधिनियम की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा पूर्वोत्तर के लोगों पर ज्यादती की जाती है।
बता दें कि AFSPA असम, नागालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर आठ पुलिस स्टेशनों के भीतर आने वाले क्षेत्रों में लागू है। बीते दिनों सेना के एक अभियान में गलत पहचान की वजह से मरे 14 नागरिकों के मामले पर स्थानीय लोगों में बेहद गुस्सा है। बीते 4 दिसंबर को नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने सुरक्षाकर्मियों के वाहनों को जला दिया था।