पश्चिमी UP में राजपूतों की BJP से बढ़ती नाराजगी! अब डैमेज कंट्रोल के लिए मैदान में उतरे राजनाथ सिंह…

UP के पश्चिमी क्षेत्र को जीत पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। कारण है यहां से BJP के खिलाफ क्षत्रिय समाज में पैदा होती नाराजगी।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर अब कुछ ही दिन बाकी है। ऐसे में पहले चरण का चुनाव से पहले ही यहां जातीय लामबंदी तेज होती नजर आ रही है। दरअसल, यूपी के पश्चिमी क्षेत्र को जीत पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। कारण है यहां से BJP के खिलाफ क्षत्रिय समाज में पैदा होती नाराजगी।

ऐसे में क्षत्रिय समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं। खबर है कि क्षत्रिय समाज की BJP से बढ़ती इसी नाराजगी को कम करने के लिए अब देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को कमान सौंपा गया है। जिसके बाद राजनाथ सिंह पक्षिमी UP में BJP विरोध के चलते आज सहारनपुर जाएंगे। ऐसे में कई सवाल उठते हैं, जैसे कि बीजेपी से राजपूत समाज क्यों नाराज हैं, यहां के ठाकुर समाज से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं और पश्चिमी यूपी की लोकसभा सीटों पर कुछ संगठन द्वारा किया जा रहा BJP का बहिष्कार क्या पार्टी का समीकरण बिगाड़ पाएगा? तो आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब।

सबसे पहले ये जान लेते हैं की ये पूरा मामला क्या है

दरअसल, यूपी के मिशन 80 के लक्ष्य को बीजेपी पश्चिमी यूपी के रास्ते भी पाना चाहती है और इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से आगे भी बढ़ रही है। मगर लगता है कि उसकी रणनीति पर ठाकुर क्षत्रिय समाज पानी फेर देगा।

हाल ही में क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में क्षत्रियों ने बीजेपी के विरोध का ऐलान किया है। क्षत्रिय समाज ने बेहद तल्खी के साथ कहा है कि सम्मान से समझौता कतई नहीं किया जाएगा और इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाया जाएगा। इस नाराजगी के पीछे उन्होंने अपनी मांगों को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के तरफ से नजरअंदाज करना बताया है।

क्या कहते हैं आंकड़े…?

आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो यूपी में सात प्रतिशत के करीब ठाकुर जाति के वोटर हैं। हालांकि प्रदेश में करीब 48 विधायक राजपूत या क्षत्रिय समाज से आते हैं। जिनमें 42 तो अकेले बीजेपी से हैं। चार सपा और बचे अन्य दलों से जुड़े हुए हैं। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी समुदाय से संबंध रखते हैं। एक दौर ऐसा था जब ये समाज कांग्रेस का कोर वोटर हुआ करता था, फिर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के साथ भी ये समाज खड़ा रहा है। मगर मौजूदा समय में राजपूत समाज बीजेपी के कट्टर समर्थक के रूप में गिने जाते हैं। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी क्षत्रिय समाज की नाराजगी को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी ने भी इस मामले की गंभीरता को समझते हुए डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है। अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का सहारनपुर जाना कितना असर दिखाएगा वो वक़्त ही बताएगा मगर इन हालातों को देखने के बाद ये साफ़ है कि अगर वक़्त रहते भाजपा ने फैली इस नाराजगी का कोई हल नहीं निकाला तो चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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