मायावती का बड़ा आरोप- भाजपा के चुनाव जीतने में ईवीएम का कमाल, निवेश के नामपर हो रही नाटकबाजी

बीएसपी अध्यक्ष मायावती आज अपना 67 वां जन्मदिन मना रही है। मायावती का यह जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उनका जन्मदिन पूरे प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर मायावती ने मिडिया को बयान देते हुए विपक्ष पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जन्मदिन मनाने वालों धन्यवाद बोलते हुए कहा कि हमारे जन्मदिन की अवसर पर कमजोर और गरीब लोगो की मदद की जा रही है। हमेशा मेरी पार्टी गरीब लोगों की मदद की है। प्रदेश में 4 बार बीएसपी ने यूपी में सरकार भी चलाई है। अनेकों नई-नई जनहित की योजनाएं भी चलाई है। लेकिन जातिवादी, पूंजी वादी पार्टियों को ये अच्छा नहीं लगा है। और मेरी पार्टी को सत्ता में आने से रोका है।

भाजपा पर हमला बोलते हुए मायावती ने कहा कि गरीबी, भ्रष्टाचार और महंगाई लगातार आज बढ़ा है। बीजेपी के शासन काल में और खराब स्थिति हुई है। निवेश के नाम पर भी बीजेपी झूठे नाटक कर रही है। बीजेपी की गलत नीतियों की वजह से ही कानून व्यवस्था की आड़ में जो घिनौनी राजनीति की जा रही है जांच एजेंसियां का भी राजनीतिकरण कर दिया गया है। बैलेट पेपर से छोटे बड़े सभी चुनाव कराए जाएं ये आयोग से बीएसपी की मांग है। सभी वर्ग के लोगो को मिलकर केंद्र और राज्य की सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेना होगी। क्योंकि इनको सही न्याय और अधिकार तभी मिल सकेगा।

आगे उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में तो स्थिति और भी दयनीय बनी हुई है और अब निवेश के नाम पर भाजपा नाटकबाजी कर रही है। आज अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में मेरे पार्टी के कार्यकर्ता जनकल्यकारी दिवस के रूप में मनाते है। आज मैं अपने सभी गुरुओं पूर्वजों को नमन करती हूँ और उनके दिखाए हुए रास्ते पर मूवमेंट को बढ़ाते हुए बहुत ही सादगी के साथ मना रहे है। आज मेरे कार्यकर्ता गरीब असहाय और ज़रूरतमंदो की मदद कर के जनकल्याण दिवस मना रहे है।

विपक्ष पर मायावती का बड़ा हमला !

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि आरक्षण के मामले में कांग्रेस बीजेपी का कार्यकाल ठीक नहीं रहा है और अब बीजेपी कांग्रेस की पद चिन्हों पर चलकर काम कर रही है। इसी वजह से निकाय चुनाव भी प्रभावित हुए हैं समाजवादी पार्टी भी अति पिछड़ों का हक न देकर छल किया है। विधानसभा और लोकसभा का चुनाव बीएसपी अकेले लड़ेगी ये पार्टी ने फैसला लिया है। जो पार्टियां बीएसपी के गठबंधन की बात कर रही है वो निराधार है।

जातिवादी मानसिकता वाली राजनितिक पार्टियों ने हथकंडे अपना कर बसपा को सत्ता मे आने से रोका हैं। इस सरकार किसान मज़दूर व्यापरी मेहनत करने वाले लोग बेहद दुखी है। भाजपा हवा हवाई घोषणा कर रही है। निवेश लाने के नाम पर भी किस्म किस्म की वाह वही लूट रही हैं। उत्तराखण्ड मे हल्द्वानी की तरह तमाम जगह लोगों को उजाड़ा जा रहा हैं। कानून व्यवस्था के नाम पर जो घिनौनी राजनीति की जा रही है वो किसी से छुपी नहीं हैं।

EVM पर मायावती ने उठाये सवाल ?

मायावती ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो मे ईवीएम से चुनाव कराने को लेकर लोगों के ज़हन मे तमाम तरह की शंका हैं। बसपा चाहती है की आने वाले सभी चुनाव बैलेट पेपर से हो। चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से ये मांग करती है। यूपी में जो असेंबली का चुनाव हुआ है जिस बस्ती और पोलिंग बूथ पर जहा बीएसपी का अधिक वोट है लेकिन जब मशीन खुली तो कुछ और निकला। ईवीएम पर सवाल खड़े हो रहे है इसमें कुछ गड़बड़ी है । बीएसपी को ईवीएम से नुकसान हुआ है बीएसपी का। बैलेट पेपर की जगह पर जब से ईवीएम से चुनाव हुआ है उसके बाद मेरी पार्टी का वोट प्रतिशत कम हुआ है और जनाधार पर भी असर पड़ा है। केंद्र सरकार और आयोग खुद सामने आए। ये मशीनों का कमाल है ये लोग बैलेट से चुनाव कराए। इसलिए जरूर दाल में काला है। बीजेपी के लिए जो आज स्थित है सिर्फ ईवीएम का ही कमाल है। दुनिया में कई जगह बैलेट से चुनाव हो रहे है।

बीजेपी जो पसमांदा समाज को लेकर कर रही है। आज प्रदेश में मुस्लिम समाज को मालूम है किस प्रकार ज्यादती हो रही है उनके साथ अन्याय हो रहा है। ये लोग बीजेपी के बहकावे में आने वाले नही है अतीक को पार्टी में शामिल नहीं किया है उसकी बीवी को किया है वो माफिया नही है। बीएसपी से निकाले नेताओ को बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां लेकर घूम रही है। हम जिसे निकालते है उसकी वापसी नही होती।

साल 1977 ने बदली मायावती की जीवन

बसपा सुपरमैन मायावती के जीवन में साल 1977 बहुत खास रहा है। इस साल ने मायावती का जीवन बदल दिया। 1977 में मायावती की मुलाकात दलित नेता कांशीराम से हुई। कांशी राम चंद्रावती से मिलने उनके घर आए और उनसे कहा था, “मैं तुम्हें इतना बड़ा नेता बना सकता हूं कि एक दिन तुम्हारा आदेश पूरा करने के लिए आईएएस अफसरों की लाइन लगी रहेगी.” कांशीराम की यह भविष्यवाणी बाद में पूरी तरह से सच साबित हुई और मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं।

1989 पहली बार बनी थीं सांसद

साल था 1984 का और प्रदेश की सियासत में हलचल बढ़ रही थी। राजनीति में उभरता हुआ नाम एक नाम था मायावती। जो पहली बार 1984 में जब कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई तो मायावती टीम में कोर मेंबर थीं और वह 1989 में बिजनौर जिले से सांसद चुनी गईं। मायावती की राजनीति में एंट्री होने के बाद वह पार्टी के साथ जुड़ रही और उस पार्टी की मुखिया बनी।

कैसा रहा मायावती का राजनैतिक जीवन ?

बसपा सुप्रीमों मायावती 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुखिया बनी। इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। एक तो प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और दूसरा देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का। इसके बाद 6 महीने के लिए सरकार में आयी फिर 3 महीने के लिए 2003 में पुनः यूपी की गद्दी संभाली। 2007 से पांच साल के लिए उत्तर प्रदेश की कमान हाथ लिए रहीं।

सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनी मायावती

बसपा सुप्रीमों मायावती के नाम 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। मायावती 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुखिया बनी। इसी के साथ उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। एक तो प्रदेश की सबसे युवा सीएम का और दूसरा देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री का। इसके बाद 6 महीने के लिए सरकार में आयी फिर 3 महीने के लिए 2003 में पुनः यूपी की गद्दी संभाली। राज्य की पंद्रहवीं विधानसभा चुनाव साल 2007 में मायावती ने 403 विधानसभा सीटों में से 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत में आयी. इस बार उनका कार्यकाल साल 2007 से लेकर साल 2012 तक रहा.

कैसा रहा 2022 का विधानसभा चुनाव

मायावती की राजनीति 2012 से ही कमजोर होने लगी। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती के पार्टी का सबसे बुरा हाल रहा मात्र 1 सीट ही जीत पायी थी। जबकि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती को 19 सीटें मिली थीं। धीरे धीरे अब मायावती का वोटबैंक भी काम होता जा रहा है। 2017 में मायावती का वोटबैंक 22 था लेकिन 2022 के चुनाव में मात्र 13 फीसद रह गया।

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