मोदी रबर ने दिवालिया होकर निकाला सरकार का दिवाला, अरबों की जमीन विदेशी कंपनी को बेची…

एक दशक पहले दिवालिया हुई मोदी इंडस्ट्रीज की कंपनी मोदी रबर ने उत्तर प्रदेश सरकार की 500 करोड़ की सरकारी जमीन एक विदेशी कंपनी को बेच डाली है. 70 के दशक में यूपी सरकार ने उद्योगों को प्रोत्साहन के तौर पर यह जमीन टायर फैक्ट्री लगाने के लिए लीज पर दी थी. एक आरटीआई एक्टीविस्ट की शिकायत पर जांच तो हुई लेकिन मोदी रबर को जेल भेजने के बजाय नौकरशाही उसकी मदद में जुट गयी है. सरकारी जमीन पर कुंडली मारने वाले मोदी रबर पर बाबा का बुलडोजर कुछ लालची अफसरों के इशारे पर रोक दिया गया है.

जहां तक नजर जाती है, सरकारी जमीन ही नजर आती है लेकिन इस जमीन पर बोर्ड लगा है जर्मनी की टायर कंपनी कॉन्टीनेंटल इंडिया का. 1972 में टायर उद्योग लगाने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत ग्रांट डीड के जरिये 117 एकड़ जमीन मोदी रबर को दी थी. 2009 में मोदी रबर ने खुद को दिवालिया घोषित किया और सरकारी जमीन समेत अपना पूरा कारोबार कांटीनेंटल इंडिया को बेच दिया.

आज के सर्किल रेट के मुताबिक इस जमीन की कीमत करीब 258 करोड़ रूपये है जबकि इस जमीन का बाजारी भाव 500 करोड़ से ज्यादा का है. ग्रांट डीड की शर्त के मुताबिक मोदी रबर को केवल टायर उद्योग के लिए जमीन का इस्तैमाल करना था. वह इस जमीन को बेच नही सकती थी. लेकिन फिर भी सरकारी महकमा सरकारी जमीन की कौड़ियां होने के बाद भी चैन की चादर ताने सोता रहा.

2013 में सरधना के एसडीएम अखंड प्रताप और बाद में एसडीएम अमित भारतीय ने सरकारी जमीन की दाखिल-खारिज की कोशिशें की. एसडीएम अमित भारतीय ने सरकारी खतौनी में राज्य सरकार की जमीन पर स्टे खारिज कर दिया और करीब 95 एकड़ जमीन कांटीनेंटल इंडिया के नाम चढ़ा दी. कई आईएएस अफसरों ने भी मेरठ में तैनाती के दौरान मोदी रबर और कांटीनेंटल इंडिया की इस मामले में खुलकर मदद की. यानी माल और पगार सरकार की लेकिन जी-हुजूरी मोदी रबर की. मोदी रबर ने सरकारी जमीन पर क्लब, स्कूल, गेस्ट हाउस, कालोनी और हार्स राइडिंग ट्रेक भी बनवा लिया जिसका कंपनी कमर्शियल इस्तैमाल कर रही है.

जमीन घोटाले की जांच मेरठ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष मृदुल चौधरी, एडीशनल कमिश्नर चैत्रा वी0 और मेरठ एसडीएम संदीप भागिया ने की. तीनों अफसर आईएएस है. नियम के मुताबिक तो सरकारी जमीन का फर्जी बैनामा करने वाले मोदी रबर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज होना चाहिए था और सरकार को अपनी जमीन वापिस लेनी थी. लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार के नौकरशाह यहां विदेशी कंपनी के रसूख और उससे मिलने वाले लालच के सामने सरकार के लिए अपनी निष्ठा भूल गये. मेरठ नगर निगम का करीब 70 करोड़ का टैक्स भी मोदी रबर और कांटीनेंटल पर बकाया है लेकिन सब चुप है.

Related Articles

Back to top button