शिवपाल का साथ देने घोसी पहुंचे रामगोपाल, बीजेपी के खिलाफ करेंगे चुनाव प्रचार

अखिलेश यादव की तरफ से पार्टी के ज्यादातर बड़े नेताओं को घोसी जाने के निर्देश दिए गए है। शिवपाल यादव पहले से ही घोसी में चुनाव प्रचार कर रहे है। वहीं आज यानि की शुक्रवार को प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी घोसी के रण में शामिल होने के लिए रवाना हो गए है।

घोसी उपचुनाव के लिए सपा-बीजेपी में जोरदार टक्कर है, दोनों पार्टियां चुनाव जीतने के लिए दम-खम से लगी हुयी है। अगर बात करें सपा की तो सैफई परिवार घोसी उपचुनाव को लेकर बेहद गंभीर है। अखिलेश यादव की तरफ से पार्टी के ज्यादातर बड़े नेताओं को घोसी जाने के निर्देश दिए गए है। शिवपाल यादव पहले से ही घोसी में चुनाव प्रचार कर रहे है। वहीं आज यानि की शुक्रवार को प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी घोसी के रण में शामिल होने के लिए रवाना हो गए है।

मऊ घोसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह व बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान के बीस जबरदस्त भिड़ंत देखने को मिल रही है। दोनों नेताओं द्वारा अपनी-अपनी जीत का दावा किया जा रहा है।

अब मोटा-मोटी बात कर लेते हैं घोसी सीट के सियासी और जातीय समीकरण की

घोसी सीट पिछले दो बार से उपचुनाव का मुंह देख रहा है…बता दें कि 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट से फागू चौहान विधायक चुने गए, लेकिन 2 साल बाद ही उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया और उपचुनाव हुए। ठीक वैसे ही 2022 में बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने बीजेपी को झटका देते हुए साइकिल की सवारी करते हुए विधायक बन गए थे। लेकिन कुछ साल के अंदर ही उनका सपा से मन भर गया, तो वो सपा को छोड़कर बीजेपी में चले गए।

अब जानते हैं थोड़ा सा घोसी की जनता के बार में ?

घोसी इलाके का जातीय समीकरण भी काफी दिलचस्प रहा हैं। घोसी विधानसभा में पिछड़े, मुस्लिम और दलित समेत अन्य का जातिगत फैक्टर भी काफी प्रभावी ढंग से रहा है। जो नेता इन लोगों को लुभाने में कामयाबी हासिल कर लेता हैं, तो मानों घोसी की सीट उसी की हो जाती हैं। वहीं इस सीट का वितेजा बन जाता है।

इस लिहाज से भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जो PDA का फॉर्मूला दिया हैं। उसको भी आजमाने का वक्त आ गया है। बता दें कि 4.20 लाख मतदाताओं वाली घोसी सीट पर मुस्‍लिम वोटर करीब 85 हजार हैं। दलित 70 हजार, यादव 56 हजार, राजभर 52 हजार और चौहान वोटर करीब 46 हजार हैं। इस जातीय समीकरण की वजह से सपा जीत की उम्मीद तो कर रही होगी लेकिन दारा सिंह चौहान की पूर्वांचल में पिछड़ी जाति में अच्छी पकड़ है।

अब एक तरफ बीजेपी के कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान हैं तो दूसरी तरफ सपा के बाहुबली माने जाने वाले नेता सुधाकर सिंह। अब उपचुनाव का ये मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होगा। क्योंकि इस सीट पर बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। लेकिन घोसी की जनता का जो मेन मुद्दा है वो विकास का ही है। यहां की जनता का दिल जीतने में कौन कामयाब हो पाता हैं ये तो नजीते आने के बाद ही पता चलेगा।

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