कौशांबी में आयोजित बौद्ध सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने राम मंदिर दर्शन करने जाने के सवाल पर जगत गुरु रामभद्राचार्य पर विवादित बयान दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि राम भद्राचार्य जी को राम मंदिर जाना चाहिए था। क्योंकि वो जीवन और मौत से जूझ रहे है। राम मंदिर जाते तो उनका इलाज हो जाता। भगवान राम की उन पर कृपा हो जाती। लेकिन वहां ना जाकर वे अस्पताल पहुंच गए। इसका मतलब विज्ञान सत्य है और विज्ञान की ताकत में उनको भी जाना पड़ा।
भूल सुधारने के लिए आडवाणी को दिया भारत रत्न-स्वामी
उन्होंने कहा कि, अगर राम में वो ताकत होती तो विज्ञान में न जाकर राम के यहां चले गए होते। लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने के एलान पर उन्होंने कहा कि सरकार को समझ बहुत देर में आई है। रामलला मंदिर के उद्घाटन अवसर पर रामलला प्रकरण के नायक आडवाणी जी को तो आमंत्रित नही किया गया था। शायद उसी भूल को सुधारने के लिए भारत सरकार ने आडवाणी जी को भारत रत्न की उपाधि दी है। जबकि आडवाणी जी एक बड़े नेता थे। उनका एक लंबा राजनीतिक संघर्ष था। अभी भी सक्रिय राजनीति में थे। लेकिन देश की सरकार ने उनको सक्रिय राजनीति से बाहर किया। भले की प्रायश्चित स्वरूप भारत रत्न की उपाधि दी जा रही है जो स्वागत योग्य है।
देर आये पर दुरुस्त आए
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, सरकार ने अपनी गलतियों को समझा और प्रायश्चित कर आडवाणी को भारत रत्न दिया। हम समझते हैं, कि देर आये पर दुरुस्त आए। वहीं हिंदूवादी संगठनों द्वारा काला झंडा दिखाकर विरोध प्रदर्शन करने के सवाल पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, पहले काला झंडा सत्ता पक्ष के लोगो को दिखाया जाता था। मुझे खुशी है कि आज सत्तापक्ष के लोग विपक्ष को काला झंडा दिखाते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य विपक्ष में होते हुए भी सत्ता पक्ष के लिए भारी पड़ रहे है और भय का कारण बने हुए है। इसका मतलब स्वामी प्रसाद मौर्य सत्ता पक्ष पर भारी पड़ रहे है।
रिपोर्ट-प्रसिद्ध मिश्रा