
शोधकर्ताओं की एक टीम ने कथित तौर पर न्यूट्रॉन (Neutron) और एक्स-रे टोमोग्राफी (X-Ray Tomography) का उपयोग करके मंगल ग्रह से संबंधित एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस अत्याधुनिक तकनिकी का प्रयोग कर शोधकर्ताओं की टीम ने एक उल्कापिंड (Meteorite) की जांच की है, जिससे पता चलता है कि उल्कापिंड का पानी के साथ संपर्क सीमित था.
इस आधार पर शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि उस विशिष्ट समय और स्थान पर यह पर जीवन की संभावना को कम करता है. विषेशज्ञों की मानें तो इसी तकनीक का उपयोग साल 2030 में नासा करेगी. जानकारी के मुताबिक, साल 2030 में नासा लाल ग्रह के कुछ अनसुलझे रहस्यों से पर्दाफास करने के लिए ग्रह से लिए गए नमूनों की जांच करेगी जिसमें एक्स-रे टोमोग्राफी तकनिकी का इस्तेमाल किया जाएगा.
नासा का रोवर (Rover) फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा था. ग्रह से विभिन्न नमूने एकत्र करने के बाद, यह उन्हें भविष्य के मिशन के लिए पृथ्वी पर एकत्र करने और पुनः नमूने के अध्ययन के लिहाज से ग्रह पर वापस छोड़ देगा. हालांकि, इन नमूनों को वापस पृथ्वी पर लाना एक कठिन काम है जिसके लिए नासा के वैज्ञानिक पूरी कवायद में जुटे हुए हैं.
खगोलविदों और अंतरिक्ष विज्ञान विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी के साथ उल्कापिंड की प्रतिक्रिया तब हुई होगी जब लगभग 630 मिलियन वर्ष पहले ग्रह पर भूमिगत बर्फ के छोटे-छोटे संचय पिघले होंगे. बहरहाल, हालिया, प्रयोगों से शोधकर्ताओं ने इस संभावना से इंकार नहीं किया है कि मंगल पर किसी अन्य समय या स्थान पर जीवन की संभावना नहीं हो सकती लेकिन इस प्रयोग से ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रयोग से अंतरिक्ष के क्षेत्र में मंगल ग्रह के रहस्यों को सुलझाने में जरूर मदद मिलेगी.