फिरोजाबाद में सपा और भाजपा में कड़ा मुकाबला, क्या है राजनैतिक समीकरण ?

उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट के लिए तीसरे चरण में यानी कि सात मई को मतदान होगा। इस सीट पर कुल सात प्रत्याशी मैदान में है।

उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर वैसे तो समय-समय पर कई राजनीतिक दलों के प्रत्याशी जीतते रहे हैं लेकिन नए परिसीमन के बाद साल 2009 में नए रूप में अस्तित्व में आई इस सीट को समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाली सीट माने जाने लगी है। इसकी वजह यह है कि यहां पर यादव और मुस्लिम फैक्टर निर्णायक भूमिका निभाता है। इसलिए इस सीट पर समाजवादी पार्टी की नजर रहती है और खुद सैफई परिवार यहां से चुनाव लड़ता है। हालांकि ऐसा नहीं की हमेशा समाजवादी पार्टी ने यह सीट जीती हो सपा के सूरमा इस सीट से चुनाव लड़े तो, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

साल 2009 का उपचुनाव और 2019 में हुए लोकसभा के आम चुनाव इस बात का जीता जागता उदाहरण भी है। उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट के लिए तीसरे चरण में यानी कि सात मई को मतदान होगा। नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद सीट पर कुल सात प्रत्याशी मैदान में है। समाजवादी पार्टी ने जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सांसद बृजराज सिंह के बेटे ठाकुर विश्वदीप सिंह और बसपा ने पूर्व मंत्री चौधरी बशीर को अपना उम्मीदवार बनाया है।

नए परिसीमन के बाद साल 2009 में यहां चुनाव में जहां सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद चुनाव लड़े थे और जीते भी थे लेकिन उनके इस्तीफा देने के बाद यहां उप चुनाव हुए जिसमें सिने अभिनेता राज बब्बर ने डिम्पल यादव को हरा दिया था। साल 2014 में इस सीट पर सपा के प्रत्याशी अक्षय यादव विजयी हुए थे उन्होंने प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को हराया था। साल 2019 में सपा यह जीत बरकरार नहीं रख सकी और यहां सपा से अक्षय यादव, प्रसपा से शिवपाल यादव चुनाव लड़े थे। नतीजा यह रहा कि चाचा-भतीजे के आपसी झगड़े में दोनों हार गए और यह सीट बीजेपी के खाते में चली गयी। चंद्रसेन जादौन यहां से सांसद चुने गए। साल 2024 में हो रहे चुनाव में एक बार फिर यहां से सपा और भाजपा हर हाल में इस सीट को जीतने की कोशिश में है। इस सीट पर टोटल मतदाताओं की संख्या 18 लाख के लगभग है जिनमें नौ लाख पुरूष और सात लाख महिला वोटर्स है।

इस सीट के लिए जातीय आंकड़ों के हिसाब से यह सीट समाजवादी पार्टी के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है.यहां यादव वोटरों की संख्या लगभग चार लाख है तो मुस्लिम वोटरों की संख्या दो लाख के लगभग है। कुल मिलाकर मुस्लिम और यादव वोटर यहां निर्णायक भूमिका निभाता है। मुस्लिम और यादव दोनों ही जातियां सपा का वोटबैंक मानी जाती है। अन्य जातियों की बात करें तो यहां जाटव वोटर्स की संख्या भी दो लाख के आसपास है। इतने ही ठाकुर, करीब डेढ़ लाख ब्राह्मण और दो लाख लोधी वोटरों की संख्या है। निषाद वोटर्स की संख्या भी अच्छी खासी है। कुल मिलाकर इस सीट पर इस सीट साइकिल दौड़ेगी या फिर कमल खिलेगा यह तो मत गणना के बाद ही पता चल सकेगा। राजनीति के जानकर और पत्रकार द्विजेंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि इस सीट पर किस दल का प्रत्याशी जीतेगा यह कहना अभी जल्दबाजी होगा। पहले यह देखा जायेगा कि वोट प्रतिशत कितना रहा है। सपा और भाजपा को अपना परंपरागत पूरा वोट मिला है अथवा नहीं।

लेखक – मुनीष त्रिपाठी (पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार)

Related Articles

Back to top button