रेप पीड़िताओं पर टू फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की Supreme Court ने की निंदा, कहा – ऐसा करने पर होगी कार्यवाही !

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार से जुड़े मामलों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया हैं। जिसके अंतर्गत देश की सबसे बड़ी अदालत ने यौन पीड़ित महिलाओं पर किये जाने वाले टू फिंगर टेस्ट को ...

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार से जुड़े मामलों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया हैं। जिसके अंतर्गत देश की सबसे बड़ी अदालत ने यौन पीड़ित महिलाओं पर किये जाने वाले टू फिंगर टेस्ट को लेकर नाराजगी जाहिर की हैं। इस टेस्ट के इस्तेमाल की कड़े शब्दों में निंदा की हैं।

अदालत ने कहा कि इस टेस्ट क़े आधार पर बलात्कार की पुष्टि या अपुष्टि नहीं की जा सकती। यदि यह टेस्ट किया जाता है तो misconduct की कार्यवाही की जाएगी। अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में टू फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा करते हुए कहा कि तथाकथित परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसके बजाय यह महिलाओं को फिर से पीड़ित और फिर से आघात पहुँचाता है। दो अंगुलियों का परीक्षण नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, “एक महिला की गवाही का संभावित मूल्य उसके यौन इतिहास पर निर्भर नहीं करता है। यह सुझाव देना पितृसत्तात्मक और सेक्सिस्ट है कि एक महिला पर विश्वास नहीं किया जा सकता है जब वह कहती है कि उसके साथ बलात्कार किया गया था क्योंकि वह यौन रूप से सक्रिय है।

कोर्ट ने कहा कि परीक्षण एक गलत धारणा पर आधारित है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है। इस टेस्ट को साल 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया था। लेकिन इसका प्रयाग लगातार किया जा रहा था। जिस पर कोर्ट ने खास नाराजगी जाहिर की हैं। साथ ही आगे इस टेस्ट को करने पर Misconduct की कार्यवाही की जाएगी।

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