यूपी पॉवर कारपोरेशन का बिल भुगतान सॉफ्टवेयर “भस्मासुर” बनकर डकार रहा राजस्व, खौफ दिखाकर ग्राहकों से वसूली कर रहे है बिजलीकर्मी

बिजली बिल भुगतान के लिए इस्तैमाल होने वाला एचसीएल कंपनी का एक सॉफ्टवेयर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के लिए भस्मासुर बन गया है. बिजली बिल के एक बार के भुगतान को यह सॉफ्टवेयर दो बार रिकॉर्ड में एंट्री करके विभाग को करोड़ो रूपये के राजस्व का चूना लगा रहा है. सॉफ्टवेयर की इस खामी की आड़ में विभाग के कर्मचारी ग्राहकों को लूटने में जुटे हुए है.

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक (वाणिज्य) आईपी सिंह ने उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक को 19 अप्रैल 2022 को एक चिठ्ठी लिखी है. इस चिठ्ठी में बताया गया है कि एचसीएल द्वारा संचालित आरएपीडीआरपी सिस्टम की ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया में डबल एंट्री के कारण राजस्व का नुकसान हो रहा है. समस्या उस वक्त जानकारी में आयी जब मेरठ के शेखपुर गांव की कुसुमदेवी नेगटिव बिल के चलते अपने बिल का ऑनलाइन भुगतान नही कर सकी.

पीवीवीएनएल के डायरेक्टर कमर्शियल आईपी सिंह का पत्र दिनांक-19-04-2022

आईपी सिंह ने लिखा है कि शुरूआती जांच में 1797 ऐसे ट्रांजेक्शन मिले है जिनकी एंट्री दोबार हुई मिली है. इस प्रक्रिया से ग्राहक अपने वर्तमान बिल का भुगतान ऑनलाइन नही कर पा रहा है. आईपी सिंह ने आशंका जताई है कि ऐसा सॉफ्टवेयर में बग आने के कारण हो सकता है. सॉफ्टवेयर में आयी यह खामी मानवीय दखल होने के परिणामस्वरूप भी संभव है. इस चिठ्ठी की एक कापी पीवीवीएनएल के प्रबंधन निदेशक को भी भेजी गयी है.

सॉफ्टवेयर में डबल एंट्री की तस्वीरें

आईपी सिंह ने अपनी चिठ्ठी में जिस बिजली ग्राहक कुसुम देवी का जिक्र किया है, भारत समाचार संवाददाता ने उनसे मिलकर उनकी मुश्किलें जानी. कुसुम देवी ने बताया कि दिसंबर 2021 में उन्होने तीन महीने का बिजली बिल करीब 11 हजार रूपये अदा किया था. इस साल 2022 में जनवरी से लेकर मार्च तक का बिल उनसे मीटर रीडर लेकर गया है. मीटर रीडर ने उन्हें बताया है कि ऊपर से उनके बिल की रीडिंग नही आ रही है. मीटर रीडर ने कुसुम को यह भी बताया कि उनके बिजली मीटर में कोई दिक्कत नही है.

पीड़ित बिजली ग्राहक कुसुम देवी अपनी बेटी के साथ

बिलिंग सॉफ्टवेयर में आई खामी के चलते कम जानकार बिजली ग्राहकों को बिजली विभाग के कर्मचारी उन्हें अपना शिकार बना रहे है. आईपी सिंह ने अपनी चिठ्ठी में लिखा है कि बिल नेगटिव होने की वजह से भुगतान नही हो पा रहा है तो भला कुसुम देवी से साढ़े 7 हजार रूपये किस बात के वसूले गये और बिना रीडिंग के कैसे वसूले गये. यह कुछ ऐसे सवाल है जिनका जबाब पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक ने कैमरे के सामने देने से इंकार कर दिया.

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बेहद गरीब परिवार की कुसुम देवी के घर में बिजली का खर्च जानकर यह हैरत होती है कि बिजली विभाग इतनी मोटी रकम उनसे क्यों वसूल रहा है और वो भी बिना बिजली बिल दिये. कुसुम देवी के घर में दो पंखे, तीन एलईडी बल्ब और एक छोटी एलईडी टीवी है. कुसुम ने इसके इस्तैमाल के लिए दो किलोवाट का बिजली कनैक्शन लिया है. उनके पति की पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के दौरान मौत हो गयी थी. उनकी बेटी और वह मिलकर फर्नीचर में इस्तैमाल होने वाली बांस की खपच्चें काटकर पैक करती है और उन्हें बेचकर गुजारा करती है. कुसुम का बेटा घर की बाहरी बैठक में मोबाइल एक्सेसरीज की छोटी सी दुकान करता है.

कुसुमदेवी के घर के बाहर लगा बिजली मीटर

पीवीवीएनएल के बिलिंग सॉफ्टवेयर में हो रही इस खामी की जानकारी ग्राहकों को नही दी गयी है. उन्हें कनैक्शन में खामी होने का कारण बताकर ठगा जा रहा है. उन्हें बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज करवाने का डर दिखाकर डराया जा रहा है और अनाप-शनाप वसूली की जा रही है. पीवीवीएनएल के डायरेक्टर कमर्शियल आईपी सिंह की एक और चिठ्ठी की मानें तो सॉफ्टवेयर को लगा यह लकवा पुराना है. पिछले साल भी इसी तरह की शिकायत सामने आयी थी लेकिन राजस्व नुकसान के बाबजूद मामला दबा दिया गया.

पीवीवीएनएल के डायरेक्टर कमर्शियल आईपी सिंह की पिछले साल लिखी गयी चिठ्ठी

पीवीवीएनएल के डायरेक्टर कमर्शियल आईपी सिंह ने 25 मार्च 2021 को भी यूपी पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन को एक चिठ्ठी लिखी थी और सहारनपुर के देवबंद में आयी शिकायतों का जिक्र किया था. यह शिकायत भी सॉफ्टवेयर में हो रही डबल एंट्री की थी. एक कंपनी की प्रोजेक्ट मैनेजर शिखा कटोच ने इस संबध में शिकायत की थी. 9158 मामलों में सिस्टम में डबल एंट्री हुई और यह धनराशि करीब 87 लाख रूपये की थी. आईपी सिंह ने इसे गंभीर आर्थिक मामला बताया था और हर दिन होने वाले भुगतान की जांच के लिए एक मैकेनिज्म तैयार करने के लिए लिखा था.

पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक अरविंद मल्लप्पा बंगारी/ Pic- Google

इस संबध में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अरविंद मल्लप्पा बंगारी से भारत समाचार ने जानकारी चाही तो उन्होने अपने अधिकारी से फोन पर बात करने के बात यह स्वीकार किया है कि बिल्कुल ऐसा मामला संज्ञान में है लेकिन उन्होने आधिकारिक रूप से इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उन्होने बताया कि आधिकारिक बयान के लिए उन्हें अपने शीर्ष अधिकारियों से अनुमति की आवश्यकता होती है. उनसे जब ग्राहकों के हित प्रभावित होने के बारे में प्रश्न किया गया तो वह फिर से शीर्ष अनुमति का हवाला देकर चुप हो गये. उन्होने कहा कि मीडिया स्वतन्त्र है लेकिन वह कुछ भी बोलना नही चाहते.

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