Uttar Pradesh : खेत में मिले द्वापर युग के हथियार, महाभारत के युद्ध में हथियारों के प्रयोग पर भी उठ रहे सवाल

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक किसान के खेत में चार हजार साल पुराने हथियार मिलें है. जिससे पुरातत्वविदों की उत्सुकता बढ़ गई है. माना जा रहा है कि ये हथियार द्वापर युग के समय का हो सकते है. हथियारों के बारे मे पता लगाने के लिए हथियारों की जांच कराई गई. जांच के बाद जो शोध परिणाम आए हैं, उससे आर्कियोलॉजिस्ट काफी रोमांचित हैं.

Desk : उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक किसान के खेत में चार हजार साल पुराने हथियार मिलें है. जिससे पुरातत्वविदों की उत्सुकता बढ़ गई है. माना जा रहा है कि ये हथियार द्वापर युग के समय का हो सकते है. हथियारों के बारे मे पता लगाने के लिए हथियारों की जांच कराई गई. जांच के बाद जो शोध परिणाम आए हैं, उससे आर्कियोलॉजिस्ट काफी रोमांचित हैं.

आर्कियोलॉजिस्टों का कहना है कि प्राचीन काल में भी भारतीय लड़ाकों ने इस प्रकार के हथियार का उपयोग किया था, जानकारों की माने तो लड़ाके बड़े हथियारों से लड़ाई किया करते थे. बड़ी तलवारों का इस्तेमाल आम था. उस समय में करीब चार फीट तक लंबे हथियार उस समय होते थे.

मिली जानकारी के अनुसार इन हथियारों के उपर शोध किया जा रहा है. शोध के बाद ही पता लगेगा कि क्या सच में इन हथियारों का प्रयोग कुरुक्षेत्र में हुई महाभारत की लड़ाई में भी प्रयोग किया गया था? आर्कियोलॉजिस्टों ने हथियारों की जांच के बाद इसे ‘रोमांचक’ करार दिया है. पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले का है. जून के शुरुआत में मैनपुरी के गणेशपुर गांव में एक किसान अपने दो बीघा खेत की जुताई करा रहे थे.


खेत को समतल कराते समय कुछ खास हथियार मिले जिसे किसान ने सोना या चांदी से बनी कीमती धातु समझ कर घर ले गया. हालांकि, खेत से हथियार मिलने की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई और किसी ने इस संबंध में स्थानीय पुलिस को सूचित कर दिया. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में आया. उसने इन हथियारों को किसान से हासिल कर इसकी जांच कराई.

और भी बहुत कुछ मिलने की संभावना जताई जा रही

खेत से मिले हथियारों की जांच के बाद कुछ पुरातत्वविदों ने इसे एंटीना तलवारों और हार्पून की उपाधि दी है. विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक खेत के नीचे संयोग से 4000 पुराने तांबे के हथियार मिले हैं. जानकारों का कहना है कि यह द्वापर युग का लगता है. एएसआई के आर्कियोलॉजी के निदेशक भुवन विक्रम का दावा है कि तांबे के ये हथियार ताम्र पाषाण काल (कॉपर एज) के बताए जा रहे हैं.

चांस डिस्कवरी का दिया जा रहा है करार

खेत में मिले हथियारों को अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने चांस डिस्कवरी करार दिया है. उनका कहना है कि यह बड़ी खोज साबित हो सकती हैं. खुदाई में शामिल एक अधिकारी का कहना है कि प्राचीन हथियार एक क्लस्टर में क्यों मिले उसकी जाँच होनी चाहिए. हथियार कहीं ले जाया जा रहा था या फिर वे वहां बनाए जा रहे थे. इसके लिए रिसर्च की जरूरत है. तमाम दावों से साफ है कि कॉपर एज में युद्ध आम बात थी. हालांकि, इस पर और शोध की जरूरत बताई जा रही है.

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