केंद्र सरकार ने देश में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लागू कर दिया है। जिसके बाद सियासत गरमाई हुई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भाजपा पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार जरूरतमंदों और धार्मिक प्रताड़ितों को आश्रय देने का कानून बता रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि आज सारी सरकार मिलकर अपने देश के बच्चों को रोजगार देने में असमर्थ हैं, आप भारी संख्या में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लोगों को बसाना चाहते हो उनको कहां से नौकरियां देंगे? पहले अपने बच्चों के लिए नौकरियों का इंतजाम करें। उनके लिए घर कहां से आएंगे? अपने देश में लोगों के पास नौकरी और घर नहीं हैं।
दरअसल, दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल के ‘शरणार्थियों को नागरिकता देने से चोरी और बलात्कार बढ़ेंगे’ वाले बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। उन्हें पता नहीं है कि ये लोग भारत में आ चुके हैं और भारत में रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं…वे विभाजन की पृष्ठभूमि भूल गए हैं, उन्हें शरणार्थी परिवारों से मिलना चाहिए।
आपको यह स्पष्ट कर देते हैं कि CAA कानून भारत के किसी नागरिक को नागरिकता से वंचित नहीं करता है, ये कानून किसी भारतीय के लिए है ही नहीं. दरअसल, यह कानून भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक यानि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से हैं, उनको नागरिकता देने का है।