अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि चीन अनुमान से कहीं अधिक तेजी से परमाणु शस्त्रागार प्राप्त कर रहा है और 2030 तक उसके पास कम से कम 1,000 से भी अधिक परमाणु हथियार हो जाने की संभावना है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस समस्या को हल करने के लिए बातचीत में भाग लेने के बावजूद बीजिंग भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर “अपने दावों को दबाने के लिए वृद्धिशील और सामरिक कार्रवाई” कर रहा है।
रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा करते हुए आगे कहा गया है कि संभवत: चीन ने पहले से ही हवा से लॉन्च की जाने वाली एक परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल बनाने के साथ अपनी जमीन और समुद्र-आधारित परमाणु क्षमताओं में सुधार के साथ “नवजात परमाणु त्रिक” स्थापित कर लिया है। इसके अतिरिक्त, 2020 के घटनाक्रमों से यह पता चलता है कि चीन “शांतिकालीन परिस्थितियों में अपने एक धमकी भरे अंदाज के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाने का इरादा रखता है।”
चीन की परमाणु नीति वर्तमान में ‘पहले हमला ना करने’ की रणनीति पर आधारित है। चीन की परमाणु निति दुश्मन द्वारा किये गए किसी एक हमले को झेलने के बाद उसपर पूरी ताकत के साथ इस कदर हमला करने की रणनीति पर आधारित है कि दुश्मन को भारी क्षति ही और वह दुबारा हमला ना कर सके। अर्थात चीन की यह रणनीति दुश्मन को उसके ऊपर दोबारा आणविक हमला करने से रोकने की निति पर आधारित है। चीन ने सार्वजनिक रूप से परमाणु हथियारों का “पहले उपयोग नहीं करने” के नीति की घोषणा की है। इसके अलावा और उसने गैर-परमाणु सशस्त्र राज्य के खिलाफ या परमाणु-हथियार मुक्त क्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करने वचन दिया था लेकिन अमेरिका की इस रिपोर्ट में इन शर्तों को लागू नहीं होने पर इस निति में बदलाव होने की संभावना के तरफ इशारा किया गया है।
बता दें कि फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की एक अनुमान के मुताबित, चीन के पास वर्तमान में लगभग 330 परमाणु हथियार हैं। इसके पास संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बाद तीसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियारों का जखीरा है। परमाणु भंडारों पर अधिग्रहण करने की त्वरित गति भी, चीन को अभी इसी स्थिति में बरकरार बनाये रखेगी। 290 हथियार के साथ फ्रांस, 225 के साथ यूनाइटेड किंगडम, 165 के साथ पाकिस्तान, 160 के साथ भारत, 90 के साथ इज़राइल और 45 के साथ उत्तर कोरिया अन्य परमाणु-सशस्त्र देश हैं।