ज्यूडिशियल रिफार्म बिल का लेकर सड़क पर उतरी इजराइल की जनता, नेतन्याहू का मांगा इस्तीफा

इजरायल की जनता सड़कों पर है. नेतन्याहू सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे है. सुप्रीम कोर्ट पर सरकारी कंट्रोल का प्रयास भारी पड़ गया है और हालात बेकाबू है. लोग सरकार ज्यूडिशियल रिफार्म बिल से बेहद खफा है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू के पास अब दो विकल्प हैं- या तो ज्यूडिशियल बिल वापिस ले या इस्तीफा दें.

इजराइल में सरकार की ज्यूडिशियल रिफार्म बिल को लेकर सप्ताह भर से लगातार लोग सड़कों पर हैं. इजराइल की राजधानी तेल अवीव में देश भर के कस्बों और शहरों से सैंकड़ों की तादाद में लोग सड़कों पर जमा हो गए हैं और नेतन्याहू सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के ज्यूडिशियल रिफार्म बिल को रद्द करने की मांग की साथ ही प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का इस्तीफा मांगा.

बेंजामिन नेतन्याहू के विरोधियों का कहना है कि न्यायिक प्रणाली को कमजोर करके प्रधानमंत्री देश के लोकतंत्र को गंभीर रूप से कमजोर कर देंगे. इजराइल में विपक्ष का कहना है कि देश के लोकतांत्रिक मूल्य सत्ता को शक्ति के दुरूपयोग से रोकते हैं. लिहाजा नेतन्याहू सरकार न्यायिक प्रणाली में मनमाने सुधार कर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

भारी विरोध की ये है वजह

इजरायल सरकार की न्यायिक सुधार के कदम सरकार की शक्ति बनाम अदालतों की शक्ति की जांच करने और यहां तक ​​​​कि सरकार को खारिज करने की शक्ति से संबंधित हैं. नेतन्याहू सरकार का ऐसा मानना है कि ये सुधार बेहद जरुरी हैं. जबकि इजरायल में बड़ी संख्या में लोग इस सुधार के विरोध में खड़े हैं.

ज्यूडिशियल रिफार्म बिल के दुष्परिणाम

  • सुप्रीम कोर्ट की कानूनों की समीक्षा करने या उन्हें रद्द करने की शक्ति कमजोर हो जाएगी, क्योंकि नेसेट (संसद) में एक के साधारण बहुमत से अदालत के फैसलों को रद्द करने में सरकार सक्षम होगी.

  • सरकार की नियुक्ति करने वाली समिति में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाकर सर्वोच्च न्यायालय सहित न्यायाधीश बनने के बारे में निर्णायक फैसला होगा.

  • मंत्रियों को अटॉर्नी जनरल द्वारा निर्देशित अपने कानूनी सलाहकारों की सलाह मानने की बाध्यता समाप्त हो जाएगी. जो उन्हें वर्तमान कानून के मुताबिक कानूनी सलाहकारों के निर्देशों को मानने के लिए बाध्य करती थी.

बहरहाल, इजरायल की जनता सड़कों पर है. नेतन्याहू सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे है. सुप्रीम कोर्ट पर सरकारी कंट्रोल का प्रयास भारी पड़ गया है और हालात बेकाबू है. लोग सरकार ज्यूडिशियल रिफार्म बिल से बेहद खफा है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू के पास अब दो विकल्प हैं- या तो ज्यूडिशियल बिल वापिस ले या इस्तीफा दें.

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