कई परिवारों को डिजिटली सशक्त बना रहा अडानी फाउंडेशन, ‘सक्षम’ पहल से दूर-दराज के लोगों का बदल रहा जीवन…

अडानी फाउंडेशन की 'SAKSHAM' पहल कौशल विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है. अडानी फाउंडेशन का उद्देश्य भारत सरकार के कौशल भारत मिशन के अनुरूप, विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश करके कौशल अंतर की मांग को कम करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की है.

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के थम्मीना पटनम गांव की 36 वर्षीय शैक फरीदा अपनी रसद और दर्जी की दुकान चलाती हैं. लेकिन कुछ साल पहले जब देश में डिजिटाइजेशन की लहर दौड़ गई, तो उसमें रुकावट आ गई. उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापार लेनदेन को जारी रखना मुश्किल लगता था क्योंकि वह नहीं जानती थी कि, जिसने उनके व्यापार राजस्व को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया उसे वो इस्तेमाल कैसे करें.

लेकिन एक अल्पकालिक डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ने उनकी सभी समस्याओं को हल कर दिया और आज वह अपने ग्राहक आधार को खोए बिना अपने व्यवसाय सुचारू रूप से चलाने में सक्षम हैं. हाल के वर्षों में, ग्रामीण और साथ ही देश के भीतरी इलाकों में इंटरनेट की गहरी पैठ बनाने की दिशा में लगातार और गंभीरतापूर्वक कार्य किया गया है.

नीति आयोग की “Strategy for New India @75” शीर्षक वाली रिपोर्ट का कहना है कि भारत को 2022-23 तक डिजिटल विभाजन को समाप्त करने की आवश्यकता है. इस संबंध में, रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कौशल विकास और कुशल प्रतिभा का निर्माण यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन है कि भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रशिक्षित और कुशल जनशक्ति प्रदान की जाए जिसकी उद्योगों को आवश्यकता है.

अडानी फाउंडेशन की ‘SAKSHAM’ पहल कौशल विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है. अडानी फाउंडेशन का उद्देश्य भारत सरकार के कौशल भारत मिशन के अनुरूप, विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश करके कौशल अंतर की मांग को कम करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की है.

फरीदा कहती हैं, “डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम की बदौलत मैं अपने व्यवसाय को और अधिक आसानी से, और अधिक सफल तरीके से चलाने में सक्षम हूं. मोबाइल रिचार्ज से लेकर टिकट बुक करने तक, मैंने इन सभी पहलुओं को भी अपना लिया है, जिससे मेरे मौजूदा व्यवसाय को अतिरिक्त आमदनी हुई है.” इसके लिए फरीदा ने अडानी कौशल विकास केंद्र (ASDC), कृष्णापटनम और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम ‘SAKSHAM’ का आभार जताया.

डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम से एक अन्य लाभार्थी नेल्लोर जिले के मुथुकुर गांव की देगला वरलक्ष्मी हैं. डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम का उद्देश्य कंप्यूटर, उसके उपकरण, मोबाइल फोन संचालन और मोबाइल फोन अनुप्रयोगों के बुनियादी ज्ञान के साथ-साथ सहायक ऑनलाइन और कक्षा के वातावरण में डिजिटलीकरण एवं ऑनलाइन लेनदेन के साथ लोगों को कुशल बनाना है.

वरलक्ष्मी कहती हैं कि “SAKSHAM डिजिटल कोर्स के बाद, मैंने अपने फोन पर डिजिलॉकर एप्लिकेशन इंस्टॉल किया और अपने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जोड़े. मैं अपने दोस्तों और परिवार के बीच डिजिलॉकर और इसके फायदों के बारे में जागरूकता भी फैलाती हूं. मैंने इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन बिल भुगतान, मेल एक्सेस करना, सोशल मीडिया आदि के बारे में बहुत कुछ सीखा. मैं बच्चों को पढ़ा भी रही हूं.”

मुथुकुर गांव के एक मछुआरे बहुल क्षेत्र से आने वाली मनाती कृष्णवेनी के पास डिजिटल ट्रेन की सवारी करने की कोई गुंजाइश नहीं थी. लेकिन सीमाओं ने उन्हें उनके जीवन के लिए डिजिटल तरीकों की खोज करने से नहीं रोका. उन्होंने खुद को डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम में एडमिशन लिया और पाठ्यक्रम के सफल समापन के बाद, अब उनके लिए डिजिटली सक्षम हो पाना कोई चुनौती नहीं है.

Related Articles

Back to top button