डिजिटल डेस्क: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक आरोपी के खिलाफ आपराधिक शिकायत और उसके बाद की कार्यवाही पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला धारा 406, 420 IPC पर आधारित है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि पुलिस के पास पैसे वसूलने या सिविल कार्यवाही विफल होने के बाद पैसे की वसूली के लिए सिविल कोर्ट के रूप में कार्य करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में पैसे का भुगतान न करना या अनुबंध का उल्लंघन नागरिक गलतियाँ हैं जो आपराधिक अपराधों से भिन्न हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि, “पुलिस को उन आरोपों की जांच करनी है जो एक आपराधिक कृत्य का खुलासा करते हैं। पुलिस के पास पैसे की वसूली करने या पैसे की वसूली के लिए सिविल कोर्ट के रूप में कार्य करने की शक्ति व अधिकार बिलकुल नहीं है। साथ ही कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए बोलै कि, “पुलिस बार बार विभिन्न निर्णय देने के बावजूद भी आदेशों का पालन नहीं कर रही।
दरअसल, एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने 2023 की आपराधिक अपील में एक एफआईआर को रद्द कर दिया। इस मामले में, उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के खिलाफ अपीलकर्ता ललित चतुर्वेदी और अन्य शामिल थे, जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 और 506 की व्याख्या के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल उठाए। इसी मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह बड़ा फैसला लिया है।
अदालत के फैसले में नागरिक विवादों या बकाया की वसूली के लिए आपराधिक कार्यवाही का दुरुपयोग नहीं किया जाने और नागरिक गलतियों व आपराधिक अपराधों के बीच स्पष्ट परिसीमन की आवश्यकता को दोहराने पर जोर दिया है। अदालत ने कहा, “परोक्ष उद्देश्यों के लिए आपराधिक प्रक्रिया शुरू करना कानून की दृष्टि से गलत है और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।”