महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक झटका, SC से MLC चुनाव वोट डालने की नहीं मिली इजाज़त

सुप्रीम कोर्ट से आज महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक बड़ा झटका लगा। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक को विधान परिषद के इलेक्शन मे वोट देने की इजाज़त नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा प्रावधान के तहत जेल में बंद व्यक्ति मतदान नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट से आज महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक बड़ा झटका लगा। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक को विधान परिषद के इलेक्शन मे वोट देने की इजाज़त नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा प्रावधान के तहत जेल में बंद व्यक्ति मतदान नहीं कर सकता है। जनप्रतिनिधियों को छूट देने के लिए याचिका में उठाए गए कानूनी बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट बाद में विचार करेगा।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख और मंत्री नवाब मालिक ने अर्ज़ी दाखिल कर महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में मतदान करने की इजाज़त मांगी थी। मामले की सुनवाई के पेश हुई वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा मिनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इनपर लगे आरोप पूरी तरह से राजनितिक है। हमे चुनाव में शामिल न होने से रोकने के लिए ही गिरफ्तार किया गया है। वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हम ज़मानत नहीं मांग रहे है, हम बस अपने वोटिंग अधिकार को इस्तेमाल करने की इजाज़त मांग रहे है, पुलिस की हिरासत में वोट डालने की इजाज़त मांग रहे है।

नवाब मालिक की तरफ से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि जनता ने उन्हें विधानसभा में चुन कर भेजा है, विधान सभा में उनकी पसंद और फैसले करने का प्रतिनिधित्व करता हूं, अगर मेरे मत देने के अधिकार से मुझे वंचित रखा गया, तो मेरे लिए मतदान करने वाले सभी लोगों का अधिकार भी छीनने जैसा होगा। मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि यदि हमें वोटिंग का अधिकार नहीं मिलता तो यह उन्हें चुनकर विधानसभा भेजने वाले मतदाताओं के अधिकारों का भी हनन होगा।

वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि यह तो हमारा संवैधानिक अधिकार है। इस पर कोर्ट ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यह वैधानिक अधिकार है। अरोड़ा ने जवाब देते हुए कहा कि वोट देने का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार भले न हो लेकिन संवैधानिक अधिकार तो है। इसके साथ ही अरोड़ा ने कुछ पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कोर्ट ने विधायकों को जेल में रहते हुए भी वोट डालने की इजाज़त दी जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप पुलिस कस्टडी में होते तो बात अलग थी लेकिन आप न्यायायिक हिरासत में है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यदि हम आपको मतदान में हिस्सा लेने की इजाजत दे भी दे तो क्या आप मतदान कर पाएंगे? अरोड़ा ने जवाब देते हुए कहा कि यदि आदेश टेलीग्राफिक हो तो मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आप किसी मामले में प्रीवेंटिव मेजर के तहत जेल में हैं तो आपको मतदान देने की इजाजत देने में कानून के तहत कोई रोक नहीं है लेकिन आपका मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। जिसमे कानून के मुताबिक कोर्ट से राहत नही दी जा सकती। मीनाक्षी अरोड़ा ने दलील देते हुए कहा कि हमें वोट देने से रोकना लाखों लोगों की जन भावना का दमन करना है।

मामले की सुनवाई के दैरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा विधान परिषद चुनाव की अधिसूचना मई में जारी हुई थी। कानून में भी साफ है कि जेल में बंद व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता। किसी ने धारा 62(5) को चुनौती नहीं दी है। इसके रहते मतदान की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ लगता है, लेकिन अभी इस पर विस्तृत विचार नहीं किया जा सकता। वैसे भी अभी वोट डालने की अनुमति दे दी, तब भी जेल से हेलीकॉप्टर तो नहीं मिल जाएगा।

Related Articles

Back to top button