कर्नाटक हिजाब विवाद : मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसले को दी गई SC में चुनौती

कर्नाटक हिजाब विवाद में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की पीठ के सामने कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी। वकील कपिल सिब्बल ने कहा यह नौ जजों के संविधान पीठ का मामला है। सुप्रीम कोर्ट को मामले की जल्द सुनवाई करनी चाहिए, चाहे कोई आदेश जारी ना हो लेकिन जल्द सुनवाई के लिए मामले को लिस्ट करें।

कर्नाटक हिजाब विवाद मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कल अपने फैसले में स्कूल- कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगाई थी और स्कूल कॉलेज को खोलने का आदेश दिया था।

कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद मामले में हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए गुरुवार को अपने अंतरिम फैसले में कहा था कि हम संस्थान खोलने का आदेश देंगे, सब शांति बनाए रखें। जब तक कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है तब तक छात्र धार्मिक वस्त्र पहनने पर जोर न दे। कर्नाटक हाई कोर्ट में सोमवार को अगली सुनवाई होनी है। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई किया था।

कर्नाटक हिजाब विवाद में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की पीठ के सामने कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी। वकील कपिल सिब्बल ने कहा यह नौ जजों के संविधान पीठ का मामला है। सुप्रीम कोर्ट को मामले की जल्द सुनवाई करनी चाहिए, चाहे कोई आदेश जारी ना हो लेकिन जल्द सुनवाई के लिए मामले को लिस्ट करें। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मामले में दखल देने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी मामला हाईकोर्ट में लंबित है, पहले हाई कोर्ट को तय करने दीजिये। अभी मामले में हमारा दखल देना ठीक नहीं हैं।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रामन्ना की पीठ के सामने कर्नाटक हिजाब विवाद मामले की मेंशनिंग करते हुए मामले की जल्द सुनवाई की मांग की। कपिल सिब्बल ने कहा कि कर्नाटक में जो हुआ उसका असर पूरे देश में हो रहा है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है ऐसे में हाई कोर्ट को फैसला लेने दें।

Related Articles

Back to top button