National : तीन दिवसीय बैठक के बाद रेपो रेट में हो सकती है इतने प्रतिशत की वृद्धि

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू होगी। केंद्रीय बैंक इस बैठक के दौरान कुछ नीतिगत फैसलों को लागू कर सकता है। उम्मीद है कि 3 अगस्त से 5 अगस्त तक तीन दिन तक चली इस बैठक के बाद आरबीआई...

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू होगी। केंद्रीय बैंक इस बैठक के दौरान कुछ नीतिगत फैसलों को लागू कर सकता है। उम्मीद है कि 3 अगस्त से 5 अगस्त तक तीन दिन तक चली इस बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास, 5 अगस्त को MPC की बैठक के दौरान फैसलों की घोषणा करेंगे. आरबीआई इस बैठक में एक बार फिर से रेपो रेट को बढ़ा सकता है. आपको बता दें कि पिछली एमपीसी की बैठक में मई में रेपो रेट 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90% किया गया था।

सूत्रों के अनुसार इस बार भी आरबीआई रेपो रेट को 0.25% बढ़ाकर 0.35% कर सकता है। आपको बता दें कि देश में महंगाई की दर अभी भी आरबीआई के तय लक्ष्य से ऊपर है। इसे नियंत्रित करने के लिए एमपीसी की बैठक में एक बार फिर Repo Rate बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है।

बता दें कि जून में महंगाई की दर 7.01 फीसदी थी। लगातार छठी बार महंगाई दर आरबीआई की तय 6 फीसदी की सीमा को पार कर गई है। इससे पहले मई में खुदरा महंगाई की दर 7.04 थी। वहीं केंद्रीय बैंक RBI ने भी साल 2022-23 के लिए महंगाई दर को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (Indian Reserv Bank) बाजार में धन के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर का उपयोग करता है। जब बाजार मुद्रास्फीति (Inflamation) मोड में होता है, तो Repo Rate में वृद्धि करता है। रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि जो बैंक आरबीआई से पैसा लेंगे उन्हें वह पैसा बढ़ी हुई ब्याज दर पर दिया जाएगा। ऐसे में ब्याज दर बढ़ने से सभी बैंक आरबीआई से कम पैसा लेंगे और बाजार में पैसे का प्रवाह नियंत्रण में होगा। अगर बैंक आरबीआई से अधिक ब्याज से पैसे लेंगे तो वे आम लोगों को भी महंगे रेट पर कर्ज देंगे। इससे आम आदमी की EMI महंगी होगी। इसे देखते हुए लोग भी कर्ज कम लेंगे और खर्च भी कम करेंगे। जिससे बाजार में मांग कम होगी और इस पूरी प्रक्रिया के बाद मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

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