प्रधानमंत्री की पहली चुनावी रैली के लिए बुलंदशहर ही क्यों?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरूवार को बुलंदशहर की धरती पर ऐतिहासिक रैली को संबोधित करेगे. अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद इस रैली को उत्तर-प्रदेश में लोकसभा-2024 चुनाव का शुभारंभ माना जा रहा है. यूं तो इस रैली में दर्जन भर जिलों के बीजेपी समर्थक आयेगें लेकिन बुलंदशहर, अलीगढ़, नोयडा, गाजियाबाद और हापुड़ को लक्ष्य रखकर बीजेपी संगठन इस रैली में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ इकठ्ठा करने का मंसूबा रखे हुए है. शायद इसीलिए रैलीस्थल का चयन आबादी से दूर लंबे-चौड़े मैदान में किया गया है.

पश्चिमी उत्तर-प्रदेश बीजेपी के लिए हमेशा राजनैतिक रूप से उर्वरा जमीन रही है. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी के कुछ जिलों से बीजेपी को अपेक्षित नतीजे नही मिल सके. मेरठ को इस इलाके का केन्द्र कहा जाता है लेकिन राज्य के नतीजों में मेरठ और इससे जुड़े कई जिले पिछड़ गये. इसके अलावा 2019 के लोकसभा अभियान की पहली रैली में मेरठ के दौराला में बीजेपी संगठन अपेक्षित भीड़ नही जुटा सका. रैली का रंग फीका रहा. हांलाकि नतीजों पर इसका कोई असर नही रहा मगर फिर भी बीजेपी और बेहतर प्रदर्शन के लिए बुलंदशहर की धरती पर रैली का आयोजन करने जा रही है.

नरेन्द्र मोदी के लिए लकी है बुलंदशहर-

मार्च-2019 में नरेन्द्र मोदी ने यूपी के लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान बुलंदशहर के शिकारपुर रोड पर आयोजित रैली से किया था. यह रैली बीजेपी किसान मोर्चा के तब के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजयपाल तोमर के नेतृत्व में आयोजित की गयी थी. नरेन्द्र मोदी ने इस दिन जम्मू-काश्मीर में माता वैष्णो देवी के दर्शन किये और एक रैली को संबोधित किया और फिर सीधे बुलंदशहर की इस रैली में पहुंचे थे.

इस रैली में नरेन्द्र मोदी को सुनने के लिए भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. जहां तक नजर जाती, सिर्फ मोदी के समर्थक ही नजर आते थे. इस रैली की गूंज पूरे चुनाव सुनने को मिलती रही. यहीं से नरेन्द्र मोदी का विजयरथ रिकॉर्डतोड़ वोटों के साथ दिल्ली की ओर दौड़ता नजर आया.

बुलंदशहर में ही नरेन्द्र मोदी की रैली क्यों?

बुलंदशहर बीजेपी के लिए ना सिर्फ भाग्यशाली रहा है, यह बीजेपी की मजबूत जमीन भी है. नब्बे के दशक से इस सीट पर लगातार बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह का प्रभाव देखने को मिला है. कल्याण सिंह ने जिसे इस सीट से अपना आशीर्वाद दिया, वह सांसद निर्वाचित होता रहा. वर्तमान सांसद डॉ भोला सिंह दूसरी बार सांसद चुने गये है. डॉ भोला सिंह को कल्याण सिंह के बेहद विश्वासपात्रों और करीबियों में शुमार किया जाता है.

मेरठ, मुजफ्फरनगर में रैली क्यों नही?

विधानसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे ना मिलने की वजह से मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और बिजनौर अब बीजेपी की कमजोर होती जमीनें है. इसका खामियाजा यहां से लोकसभा टिकट का सपना देख रहे कई नेताओं को भी भुगतना पड़ सकता है. किसान आंदोलनों की सक्रियता के चलते भी बीजेपी यहां कमजोर हुई और इस सक्रियता को बीजेपी के नेता खत्म नही कर पाये.

यह बात अलग है कि भारतीय किसान यूनियन दो टुकड़े हुई और लोकदल नाम की एक और पार्टी भी पिछले दिनों यहां सक्रिय हुई है. लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है. यहां कमजोर होती पार्टी ने संगठन के बड़े अभियान की संभावनाऐं यहां कम की है. इसलिए पार्टी ने पीएम की रैली के लिए बुलंदशहर की जमीन को चुना है जहां हर तरह से सारे तथ्य पार्टी के पक्ष में खड़े दिखायी देते है.

इन जिलों का ग्रामीण क्षेत्र है रैली का फोकस-

बुलंदशहर से करीब 7-8 किमी दूर नोयडा की सरहद के पास पीएम की इस रैली का आयोजन किया जा रहा है. इस रैली में बुलंदशहर और नोयडा देहात के बीजेपी समर्थक आसानी से पहुंच सकेगे. इसके अलावा चोला-खुर्जा होकर अलीगढ़ के ग्रामीण इलाकों के लिए यहां सड़क यातायात बेहद सुलभ है. अलीगढ़ के समर्थक इस रैली में नेशनल हाइवे, राज्यमार्ग और रेलमार्ग के जरिये भी पहुंच सकेगें. हापुड़ के देहात इलाकों के समर्थक गुलावठी, सिकन्द्राबाद होकर रैली स्थल तक पहुंच सकेगें. सिकन्द्राबाद से होकर गाजियाबाद के कार्यकर्ता भी इस रैली में पहुंचेगें.

अयोध्या से बना रंग..चुनाव तक-

अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद बीजेपी के पक्ष में देश भर में जो माहौल बना है इसे संगठन प्रधानमंत्री की रैलियों के जरिये बनाये रखना चाहता है. लक्ष्य इस माहौल के जरिये हर वर्ग के हिंदू मतदाताओं तक पहुंचना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐसी रैलियां अब देश के हर राज्य में देखने को मिलेगी.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई ने बताया कि सुशासन और सबके साथ के जरिये बीजेपी सबका विकास कर और सबका विश्वास पाने में कामयाब हुई है. अब जनता जान चुकी है कि बीजेपी का कोई विकल्प नही है. प्रधानमंत्री जनता के सामने बीजेपी सरकार की विकासगाथा रखेगें.

बुलंदशहर में एक बार रूका था बीजेपी का विजयरथ-

15वें लोकसभा चुनाव के दौरान 2009 में बीजेपी का विजयरथ बुलंदशहर में रूक गया था. इसे रोकने वाले कोई और नही, खुद बीजेपी के दिग्गज और श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के नायक कल्याणसिंह थे. कल्याणसिंह अपने प्रत्याशी को टिकट ना देने के चलते नाराज थे. उन्होने पार्टी छोड़ दी और अपने धुर-विरोधी मुलायमसिंह यादव से गठबंधन कर लिया. समाजवादी पार्टी के टिकट पर कल्याणसिंह के करीबी शिष्य कमलेश वाल्मिकी इस चुनाव में बुलंदशहर सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे.

बीजेपी इस सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री अशोक प्रधान को चुनाव लड़वाना चाहती थी और कल्याण इसके खिलाफ थे.

Related Articles

Back to top button