
समस्त देशवासियों खासकर उत्तर प्रदेश के सभी भाई-बहनों को व अपनी बी.एस.पी. की ओर से नववर्ष सन 2023 की हार्दिक बधाई बहुत – बहुत शुभकामनायें देते हुए बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने नये साल में सभी के लिए रोजगार – युक्त व महंगाई – मुक्त आत्म-सम्मान के सुख, शान्ति व समृद्धि भरे जीवन की शुभकामनाएं दीं और साथ ही इनकी प्राप्ति के लिए अपना-अपना सतत् सत्ता संघर्ष जारी रखने की अपील भी की। वैसे भी देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, व्यापारी वर्ग व अन्य मेहनतकश समाज को, बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की तरह सरकारी दया व कृपादृष्टि पर ही आगे बढ़ने के बजाय, हमेशा अपनी कड़ी मेहनत एवं संघर्ष के बल पर थोड़े में ही गुज़ारा करने की ज्यादातर आदत है किन्तु अगर सरकार चाहे तो अपनी नीयत व नीति में थोड़ा सुधार करके इन सभी लोगों के जीवन को अच्छे दिन में जरूर बदल सकती है और यही सरकार का कर्तव्य भी है। लेकिन दुःख की बात यह है कि इन सभी के मामले में केन्द्र व राज्यों की भी सरकारे हमें बिल्कुल भी गम्भीर नजर नहीं आती है।
मायावती ने कहा जबकि दुनिया के लिए एक आदर्श मानवतावादी व समतामूलक भारत बनाना परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर आदि महापुरुषों की आस्था रही है, जिसके अनुरूप ही भारत का संविधान बनाया गया तथा इसकी मूल मंशा के अनुरूप देश को जातिवादी व साम्प्रदायिक द्वेष, नफरत व संकीर्णता आदि से मुक्त रखकर देश को सुखी व समृद्ध बनाना ही मूल मकसद रहा है क्योंकि इसके अभाव का सबसे बड़ा भुक्तभोगी “बहुजन समाज” के करोड़ों लोग ही होते हैं। इसी खराब बीमारी को दूर करने के लिए ही बी.एस.पी. की स्थापना की गई है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके यहाँ देश में राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र की भी स्थापना की जा सके।
जहाँ तक लोगों को जोड़कर भारत को असली भारत बनाने हेतु यज्ञ की बात है तो यह काम बी.एस.पी. ने समस्त 85 प्रतिशत शोषितों- पीड़ितो व उपेक्षितों को “बहुजन समाज” की शक्ति में जोड़ कर काफी पहले से शुरू कर दिया है, लेकिन इसकी स्थापना में सबसे बड़ी चुनौती आरक्षण को लागू करने को लेकर संविधान बनने से लेकर आज तक बनी हुई है। इस मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी सहित कोई भी विरोधी पार्टी आरक्षण के साथ इस संवैधानिक उत्तरदायित्व के प्रति ईमानदार नहीं है। यही आज तक का कड़वा इतिहास है। इसके साथ ही एससी व एसटी के आरक्षण को लागू करने के मामले में ही नहीं बल्कि ओबीसी के आरक्षण को लेकर भी इन पार्टियों का रवैया अति जातिवादी व क्रूर देखने को मिला है।
मायवती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केन्द्र में अपनी सरकार के लम्बे दौर के रहते हुए भी पिछड़ों के आरक्षण सम्बन्धी मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया। साथ ही, एससी व एसटी के आरक्षण को भी निष्प्रभावी बना दिया और अब बीजेपी भी इस मामले में जगजाहिर तौर पर कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चलकर बहुजनों के आरक्षण के हक को मारने का भी घोर अनुचित काम रही है, यह सब अति-दुखद व अति चिन्तनीय भी है। इतना ही नहीं बल्किी, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सपा की रही सरकार ने भी खासकर अति पिछड़ों को पूरा हक नहीं देकर इनके साथ हमेशा छल करने का ही काम किया है। सपा ने एससी व एसटी का पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर दिया। इससे सम्बन्धित बिल को सपा ने संसद में फाड़ दिया तथा इसे पास भी नहीं होने दिया । इसके साथ ही, इस पार्टी (सपा) ने ओबीसी की 17 अति-पिछड़ी जातियों को ओबीसी वर्ग की सूची से हटाकर एससी वर्ग में शामिल करने का गैर-संवैधानिक कार्य करके इन वर्गों के लाखों परिवारों को ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया, क्योंकि सपा सरकार द्वारा ऐसे करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद भी यह गलत कदम उठाने पर वे सभी जातियाँ न ओबीसी में ही रह पायीं और ना ही एससी में उन्हें शामिल किया जा सका। ऐसे कदम पर सपा सरकार को कोर्ट की फटकार अलग लगी।
मायावती ने कहा कि जबकि बी.एस.पी. सरकार में एससी व एसटी के साथ-साथ अति-पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक एव आदर-सम्मान भी दिया गया। इसके साथ ही, दलित व अन्य पिछड़े वर्गों में समय – समय पर जन्मे व हमेशा तिरस्कृत रहे महान संतो, गुरुओं एवं महापुरुषों को आदर-सम्मान देने में बी. एस.पी की सरकार ने पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र भव्य स्थल, पार्क व अन्य संस्थान स्थापित किए व नए जिले आदि बनाए। उनकी उपेक्षा व नामान्तरण आदि जातिवादी मानसिकता वाली सपा सरकार में जारी रहे। इनका समाधान बी. एस. पी के उत्थान में ही निहित है।