वाराणसी। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही अपराध का एक अध्याय भले ही समाप्त हो गया है, लेकिन पूर्वांचल के इतिहास में राजनीति और अपराध का गठजोड़ लोगो के जहन में आज भी जिंदा है। पूर्वांचल के अपराध जगत में मुख्तार अंसारी का कभी राज रहा, तो राजनीति में भी मुख्तार अंसारी का बोलबाला रहा। पूर्वांचल की राजनीति में मुख्तार अंसारी अपने कद को बढ़ाने के लिए बनारस का सांसद बनने का सपना संजोया, तो इस सपने को मुख्तार के धुर विरोधी अजय राय के समर्थकों ने चकनाचूर कर दिया। बात वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव की है, जब मुख्तार अंसारी विधानसभा के बाद लोकसभा में पहुंचने के लिए बनारस लोकसभा क्षेत्र को चुना। बनारस से बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मुख्तार अंसारी ने नामांकन किया और अपनी पार्टी कौमी एकता दल से चुनाव लडा।
बनारस में मुख्तार के लिए रोड़ा बने अजय राय के समर्थक, मुख्तार अंसारी को देखना पड़ा हार का मुंह
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 में बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ ताल ठोकने वाले मुख्तार अंसारी को महज 17 हजार वोटो से हार मिली। इतने कम वोट से मुख्तार अंसारी के हार के पीछे अजय राय के समर्थकों का हांथ बताया जाता है। राजनैतिक जानकार बताते है, कि चुनाव के दिन जब मुख्तार अंसारी और मुरली मनोहर जोशी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रहा था। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में मुख्तार अंसारी को एकतरफा वोट पड़ने की सूचना पर अजय राय के समर्थक मुख्तार अंसारी को हराने के लिए बीजेपी के प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को वोट देना शुरू किया। मुरली मनोहर जोशी को 2 लाख 3 हजार के करीब वोट मिले, तो वही मुख्तार अंसारी को 1 लाख 85 हजार और सपा प्रत्याशी अजय राय को 1 लाख 23 हजार के करीब वोट मिले। ऐसे में मुख्तार अंसारी को करीब 17 हजार के वोट से हार का समाना करना पड़ा। राजनैतिक विशेषज्ञ बताते है, कि यदि अजय राय के समर्थक मतदान के आखिरी समय में पाला नही बदलते, तो हो सकता था कि मुख्तार अंसारी वाराणसी से लोकसभा चुनाव जीत जाता।
राजनैतिक पैतरे से मुख्तार अंसारी ने अजय राय से लिए चुनाव में हार का बदला !
वाराणसी लोकसभा से वर्ष 2009 के चुनाव में महज 17 हजार वोट से हारने वाला पूर्वांचल का माफिया मुख्तार अंसारी ने अपने राजनैतिक पैंतरे से अपने हार का बदला लिया। राजनैतिक जानकार बताते है, कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए आए, तो उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय मैदान और सपा प्रत्याशी कैलाश चौरसिया ने नामांकन किया। वाराणसी लोकसभा के लिए होने वाले मतदान के कुछ दिन पहले मुख्तार अंसारी ने अजय राय को समर्थन देने का ऐलान किया। इसके पीछे राजनैतिक जानकार बताते है, कि मुख्तार अंसारी नरेंद्र मोदी को बनारस से हराना चाहता था, लेकिन वह अपना समर्थन अजय राय को देकर अपने हार की कसक अजय राय को बुरी तरह शिकस्त देना चाहता था। मुख्तार अंसारी के द्वारा अजय राय को समर्थन का ऐलान के बाद चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार तो नही हुई, लेकिन अजय राय बुरी तरह से चुनाव हार गए। बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को 2014 लोकसभा चुनाव जीत हासिल किया, तो वही 2009 में 1 लाख से ज्यादा वोट पाने वाले अजय राय मात्र 75 हजार वोट पर ही सिमट कर रह गए। बताया जाता है, कि मुख्तार अंसारी के द्वारा अजय राय को समर्थन दिए जाने से जहां कांग्रेस के परंपरागत ब्राह्मण वोटर अजय राय से खफा हुए, तो वही भूमिहार मतदाता भी अजय राय से दूरी बना ली। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को करीब 5 लाख 81 हजार वोट, आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल को करीब 3 लाख 70 हजार वोट मिले थे।