यूपी पुलिस से क्राउड मैनेजमेंट सीखेंगी मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान की पुलिस

डेस्क : संगम की धरती पर हर साल माघ मेले का आयोजन होता है। जबकि छह वर्षों पर कुंभ और 12 वर्ष पर महाकुंभ का मेला लगता है। देश और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। यूनेस्को ने भी इसे मानवता की अमूर्त धरोहर घोषित किया है। माघ मेले और कुंभ में अकेले मौनी अमावस्या के स्नान पर पर ही दो करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु माघ मेले में आ जाते हैं। ऐसे में सकुशल माघ मेला संपन्न करना पुलिस और प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती होती है। यही वजह है कि प्रयागराज के माघ मेले से लेकर कुंभ और महाकुंभ में क्राउड मैनेजमेंट देश के विश्वविद्यालयों से लेकर हावर्ड विश्वविद्यालय तक के प्रोफेसर्स और शोध छात्रों के लिए शोध का विषय है।

प्रयागराज माघ मेले में सुरक्षा व्यवस्थाओं और यहां के इंतजामों का अध्ययन करने के लिए कई राज्यों की पुलिस फोर्स भी पहुंची हुई है। इसमें प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान के पुलिस के चुनिंदा पुलिस अधिकारी ट्रेनिंग लेने पहुंचे हैं। जिन्हें प्रयागराज के माघ मेले से जुड़े पुलिस के आला अधिकारी पुलिस की व्यवस्थाओं और क्राउड मैनेजमेंट की जानकारी दे रहे हैं। उन्हें यह बताया जा रहा है कि माघ मेले में पुलिस की भूमिका आम पुलिसिंग से किस तरह से हटकर है। माघ मेले में पुलिस का मकसद किसी अपराधी को पकड़ना नहीं होता है। बल्कि पुलिस कर्मियों की भूमिका मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के मददगार और गाइड के रूप में होती है। पुलिस को श्रद्धालुओं के साथ सौम्य व्यवहार करना होता है ताकि वह मेले से एक सुखद अनुभव लेकर वापस लौटें। दूसरे राज्यों की पुलिस की टीमों को माघ मेले में कम्युनिटी पुलिसिंग के बदले हुए स्वरूप से भी परिचित कराया जा रहा है।

इन राज्यों की पुलिस की टीमों ने पहले डिजिटल प्रेजेंटेशन के जरिए यूपी पुलिस के क्राउड मैनेजमेंट को समझा है। इसके बाद आज संगम समेत दूसरे घाटों, रास्तों, पांटून पुलों के साथ ही प्रवेश व निकास द्वारों पर किए जाने वाले इंतजामों को देखा। इन राज्यों की पुलिस टीम को बताया गया कि यहां ड्यूटी करने वाले जवान मेले में न तो डंडे का प्रयोग करते हैं और न ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर किसी दूसरे अस्त्र-शस्त्र का। पुलिस यहां कानून व्यवस्था का पालन कराते हुए श्रद्धालुओं के जान-माल की सुरक्षा करती है, भीड़ को नियंत्रित करती है, साथ ही सेवाभाव से काम करते हुए श्रद्धालुओं के मित्र के तौर पर उनकी मदद भी करती है। तमाम श्रद्धालु गंगा के जल में स्नान करते हैं, इसलिए पानी में भी इनकी सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते हैं। इस बार गहरे जल में भी डायल 112 की इमरजेंसी सेवाएं मुहैया कराई गई हैं।

पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने इन राज्यों की पुलिस टीम को बताया है कि लाखों की भीड़ को उनकी आस्था का सम्मान करते हुए उन्हें सकुशल स्नान कराकर घरों के लिए वापस भेजना और उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना अत्यंत चुनौती भरा काम होता है, लेकिन महीनों के होम वर्क, कुशल प्रबंधन, रणनीति के अमलीकरण और मजबूत इच्छा शक्ति के जरिए इसे पूर्ण किया जाता है। आधा दर्जन राज्यों की पुलिस के साथ ही एक दर्जन से ज्यादा यूनिवर्सिटीज व मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर और दूसरे छात्र भी पुलिस के प्रबंधन को जानने समझने के लिए आज मेला क्षेत्र पहुंचे थे।

दूसरे राज्यों की पुलिस व यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूट की टीमों के लिए प्रयागराज कमिश्नरेट की पुलिस आज बसंत पंचमी के दिन टीचर और ट्रेनर की भूमिका में नजर आई। यूपी पुलिस का मैनेजमेंट सीखने आई टीमों के लिए तमाम चीजें हैरान कर देने वाली थीं। मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान समेत दूसरे राज्यों की पुलिस टीम में शामिल अफसरों के मुताबिक माघ मेले के पुलिस मैनेजमेंट और वर्क कल्चर को वह अपने सूबों की पुलिस के साथ साझा करेंगे, ताकि किसी बड़े आयोजन में इस पर अमल करते हुए कार्यक्रमों को सुगमतापूर्वक संपन्न कराया जा सके। टीमों में शामिल डेलीगेट्स ने इस मौके पर पुलिस मैनेजमेंट के नोट्स तैयार किए। फोटो और वीडियो ग्राफी की वा श्रद्धालुओं से भी बातचीत की। कुछ विदेशी संस्थानों ने भी माघ मेले में पुलिस के बेहतर मैनेजमेंट को सीखने के लिए यहां अपनी टीम भेजने हेतु संपर्क किया है।

मध्य प्रदेश की पुलिस टीम में शामिल एस आई सौरभ सोनी, झारखंड पुलिस टीम के रवि कुमार सिंह, पीयूष जायसवाल और अभिषेक कुमार राय के मुताबिक उन्हें यहां कम्युनिटी और फ्रेंड पुलिस का जो अनुभव हुआ, वह उनके करियर में बेहद अहम है। दूसरे राज्यों से आए पुलिसकर्मियों ने यूपी पुलिस को देश की बेस्ट पुलिस बताया है।

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