देवरिया जिले में मनरेगा योजना अंतर्गत भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं बिना काम कराए ही पैसे का भुगतान कर लिया जा रहा है। यह सब खेल ऊपर से लेकर नीचे तक के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। ताजा मामला है रुद्रपुर ब्लाक के हड़हा गांव का है।
इस गांव में एक सड़क पर लगभग 150 मीटर की इंटरलॉकिंग सड़क बननी थी। वह कागज में बन गई लेकिन धरातल पर कुछ और ही था। यानी सड़क बनने से पहले ही 4 लाख रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया गया वो भी मजदूर और मटेरियल के लिये फर्म को। जब BDO का फसते नजर आये तो जनाब ने अपने बचाव में आनन-फानन में और जिम्मेदारों को नोटिस जारी कर जांच कमेटी गठित कर दिया और उस सड़क पर युद्ध स्तर से काम शुरू हो गया।
आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस तरह से काम कराया जा रहा है सबसे बड़ा सवाल है कि पहले स्टीमेट को बनता है MB होता है उसके बाद उसका स्थलीय निरीक्षण सभी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी करते हैं उसके बाद भुगतान किया जाता है लेकिन यह सब किए ही बिना पूरा भुगतान कर दिया गया। बताया जाता है कि हड़हा गांव में रामधारी के घर से शिवचंद के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य होना था और इस कार्य का एस्टीमेट तकरीबन सात लाख रुपए का बनाया गया था।
बीते 3 अगस्त को 4 लाख 30 हजार विभिन्न मदों में पेमेंट कर दिया गया। लेकिन मौके पर कोई काम नहीं हुआ था।इसकी भनक जब बीडीओ को लगी तो उन्होंने मनरेगा से जुड़े कई कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया। जिसके बाद आनन-फानन में सड़क बनने लगी। इस जनपद के लिए कोई पहला मामला नहीं है। इस तरह से बड़े-बड़े काम कागजों में होते रहते हैं और जो जिले पर बैठे जिम्मेदार अधिकारी हैं इनके संरक्षण में भ्रष्टाचार होते रहते हैं। केवल जांच का आश्वासन देते हैं लेकिन मिलकर मलाई खूब काटते हैं।