धर्म डेस्क. दीपावली का पर्व आज से शुरु हो गया है। दिवाली का उत्सव दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस से शुरु हो जाता है। धनतेरस आज और दीपावली 12 नवंबर को मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। धनतेरस के दिन भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन नए बर्तन, सोना चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस के दिन कुबेर और धनवंतरी की स्थापना की जाती है। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई को भोग लगाया जाता है। धनतेरस की पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरी को पूजा स्थान पर स्थापित करना चाहिए। इस बार धनतेरस 10 नवंबर यानी आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 11 नवंबर यानी कल दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर होगा।
धनतेरस पर दीपदान का खास महत्व है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन जिस घर में यमराज के लिए दीपदान किया जाता है वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है. यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए. दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि घर में दीया घूमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से धनतेरस मनाया जाता है। धनतेरस के दिन बर्तन, सोना चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।