दिल्ली :  एक अपराध करने पर भी गैंगस्टर ऐक्ट लग सकता है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी गैगस्टर ऐक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ किया कि एक मुकदमे पर भी गैंगस्टर ऐक्ट की कार्यवाही की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैंग द्वारा किया गया एक अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर ऐक्ट लागू करने के लिए काफी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर भी इसका इस्तेमाल अपराधी के खिलाफ किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी गैगस्टर ऐक्ट को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ किया कि एक मुकदमे पर भी गैंगस्टर  ऐक्ट की कार्यवाही की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैंग द्वारा किया गया एक अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर ऐक्ट लागू करने के लिए काफी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर भी इसका इस्तेमाल अपराधी के खिलाफ किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली बार अपराध करने पर भी गिरोह का हिस्सा बनने के बाद गैंगस्टर ऐक्ट के तहत आरोपों का सामना करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी गैंग का सदस्य जो अकेले या सामूहिक रूप से अपराध करता है, उसको गैंग का सदस्य कहा जा सकता है और गैंग की परिभाषा के भीतर आता है, बशर्ते कि उसने गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(बी) में उल्लिखित कोई भी अपराध किया हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम और गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की तरह यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के तहत ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जिसमें कहा गया हो कि गैगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा चलाने के लिए आरोपी के खिलाफ एक से अधिक अपराध या FIR/आरोप पत्र हों।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा CRPC की धारा 482  के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत सुनाए गए फैसले को सही ठहराया। मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एक भी प्राथमिकी / आरोप पत्र पर भी गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 (बी) में सूचीबद्ध असामाजिक गतिविधियों के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज करते हुए कहा मामले में मुख्य आरोपी पी.सी. शर्मा, एक गिरोह का नेता और मास्टरमाइंड था, और उसने अन्य सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची, जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 2016 में बदायूं में हुए हत्याकांड के आरोपी महिला की याचिका पर दिया। सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और वह पहली बार एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाई गई थी।  महिला ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

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