पश्चिमी उत्तरप्रदेश अलग राज्य चाहिए और मेरठ राजधानी, लोकसभा चुनाव से पहले संजीव बालियान ने छेड़ा “अलग राग”

बेहतर कानून-व्यवस्था, अयोध्या में श्रीराममंदिर और जन कल्याणकारी योजनाओं को देने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में बीजेपी की रहा आसान नहीं दिखती। घोसी के विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद अब बीजेपी को इंडिया गठबंधन लोकसभा की राह का रोड़ा प्रतीत हो रहा है। रविवार को मेरठ में मुजफ्फरनगर के बीजेपी सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री संजीव बालियान ने एक अलग राग छेड़ा है। संजीव बालियान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को यूपी से अलग प्रदेश बनाए जाने की मांग की है। बालियान का कहना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य बने। इसके बाद यह देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा।

केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण बहाली को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन का मूड बनाए बैठे हैं। इस आंदोलन की काट ढूंढने के लिए बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद का रविवार को मेरठ में आयोजन किया। इस आयोजन में हर एक राजनीतिक दल के नेता आमंत्रित किए गए थे।

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे। अपने मंच संबोधन में उन्होंने लंबे समय से देखा गया एक सपना उजागर किया। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक अलग राज्य बने और मेरठ उस राज्य की राजधानी हो। इसकी मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका। बालियान ने कहा कि यह उनके जीवन का सपना है।

बाद में पत्रकारों से रूबरू केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने इस मुद्दे को विस्तार देकर बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश केवल 9 करोड़ की आबादी वाला इलाका है। यूपी में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला इलाका है और यह इलाका शिक्षा, कृषि, उद्योग से समृद्ध भी है। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य बनता है तो यह देश का सबसे बेहतरीन राज्य होगा। यहां विकास की अपार संभावनाएं होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी मेरठ बने। सब जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी राजधानी भी मेरठ को कहा जाता है।

संजीव बालियान ने कहा कि जाट समाज को किसी और से खतरा नहीं है। अपने ही लोगों से खतरा है। हम लोग एक-दूसरे की कामयाबी देखकर उनकी टांग खींचने लगते हैं। इस तरह हम सियासी रूप से कमजोर हुए हैं।

कई प्रदेशों और विदेश से आए जाट समुदाय की मौजूदगी में संजीव बालियान ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा किसने कोर्ट में पहुंचाया। इस बात पर हमें सोचने की जरूरत है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है। भाजपा की सरकारों ने हमेशा जाट आरक्षण का मुद्दा मजबूती से हर प्लेटफार्म पर रखा है। साथ दिया है। सोशल मीडिया पर मेरे ऊपर जातिवादी होने का ठप्पा लगाया जाता है। लेकिन मेरे सभी पार्टी के नेताओं से अच्छे संबंध है।

86 कामयाबी हासिल करने का तरीका बताते हुए उन्होंने कहा कि आज यह संभव नहीं एक बिरादरी के लोग किसी गांव का प्रधान भी बना सके हमें सूचना होगा और हमें 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलना होगा जहां तक जात बिरादरी के समर्थन का सवाल है चाहे 2013 का मुजफ्फरनगर हो या फिर 2016 का रोहतक जब भी संकट आया मैं हमेशा मैं हमेशा अपनी बिरादरी के साथ खड़ा रहा बिरादरी से उन्होंने निवेदन किया की नेता चाहे किसी भी दल का हो हमेशा उसका मान सम्मान रखें।

मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय के मांगल्य प्रेश्रागृह में आज अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद का आयोजन किया गया था. इस संसद में जाट आरक्षण, जाटों की शिक्षा और समाज में पनप रही रूढ़ियों पर विचार किया गया। जाट संसद में जाटों की कम होती जनसंख्या पर भी चिंता जताई गई। इस कार्यक्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, गुजरात समेत देश के कई राज्यों से जाट सरदारी ने हिस्सा लिया।

इसके अलावा विदेश में रह रहे जाट समुदाय के प्रोग्रेसिव कारोबारी शिक्षाविद्, उद्यमी, खेल-साहित्य और राजनीति से जुड़ी शख्सियतों ने भी शिरकत की। उपराष्ट्रपति जगदीप घनगड़, पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक, राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी और खास करके पश्चिम उत्तर प्रदेश के सभी जाट सांसद, विधायकों को इस कार्यक्रम मे आमंत्रित किया गया था। मगर इस कार्यक्रम को बीजेपी प्रायोजित मानते हुए राष्ट्रीय लोकदल के सभी नेता इससे दूर रहे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कई बार विधायक रहे हरेंद्र मलिक विपक्ष से पहुंचने वाले इस कार्यक्रम के अकेले नेता थे।

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